



नागपुर , एक दादा ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपना लीवर 10 माह के शिशु को देने का फैसला कर लिया। दादा के इस फैसले के बाद अस्पताल में डॉक्टरों ने दादा के लीवर से शिशु के लीवर का सफल ट्रांसप्लांट किया। इस संबंध में एक फोटो भी सामने आई है। फोटो में डॉक्टरों के साथ, 10 माह के शिशु के साथ दादा व माता-पिता मौजूद थे।
शिशु जन्म से दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था। उसने एक घातक आनुवंशिक दोष के साथ जन्म लिया, जिसने उसके लीवर को उसके द्वारा उत्पादित पित्त को तोड़ने से रोक दिया था। पीलिया के कारण उसका रंग पीला पड़ गया था और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। किम्स किंग्सवे हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने यह सफल ट्रांसप्लांट किया।
डॉक्टरों ने पता लगाया कि उसे क्रिग्लर नाजर सिंड्रोम नामक घातक बीमारी है, जो बेहद दुर्लभ है। यह बीमारी 10 लाख बच्चों में से एक में पाई जाती है और लगभग सभी बच्चे दो साल की उम्र से पहले मर जाते हैं। इसे ठीक करने वाला एकमात्र उपचार लीवर ट्रांसप्लांट ही है। शिशु का ब्लड ग्रुप मां से मेल नहीं खा रहा था और पिता ट्रांसप्लांट के लिए फिट नहीं थे।
ऐसे में उनके दादा लीवर का एक हिस्सा दान करने के लिए आगे आए। डॉक्टरों ने उनका जीवित दाता लीवर प्रत्यारोपण किया। महज 6.4 किलो वजन के इस दस माह के शिशु की चुनौतीपूर्ण ट्रांसप्लांट प्रक्रिया 10 घंटे तक चली। सर्जन डॉ. प्रकाश जैन और डॉ. दीपक गोयल ने अपनी कुशल टीम के साथ ट्रांसप्लांट को पूरा किया। इसमें बालरोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप सुखदेव, डॉ. राजकुमार किरतकर, डॉ. वीरेंद्र बेलेकर, डॉ. समीर पाटिल, डॉ. अमोल समर्थ, डॉ. शीतल आव्हाड़ सहित प्रत्यारोपण समन्यवक शालिनी पाटिल ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया।