आजम खान को 27 अलग-अलग मामलों में मिली बड़ी राहत! कोर्ट ने किया ये अहम फैसला

लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खान को अपने खिलाफ चल रहे 27 मामलों में फौरी राहत मिली है. कोर्ट ने उनकी एक याचिका स्वीकार कर ली है जिसमें सभी 27 मामलों का ट्रायल एक साथ चलाने की मांग को मंजूरी दे दी गई है.

अजाम खान की रिवीजन एप्लिकेशन को एक्सेप्ट कर सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट एमपीएमएलए को डायरेक्शन दिया. किसानों द्वारा जमीन कब्जाने को लेकर दर्ज कराये गए सभी 27 मुकदमों में मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट में जॉइंट ट्रायल होगा. आजम खान की ओर से एमपीएमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट में सभी 27 मुकदमों को एक करने की एप्लीकेशन दी गयी थी.

हालांकिं तब मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट ने एप्लीकेशन खारिज कर दी थी. बाद में मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट के आदेश के विरुद्ध आजम खान की ओर से सेशन कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई थी.

अब सेशन कोर्ट ने रिवीजन एप्लिकेशन एक्सेप्ट कर मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट को निर्देशित किया . सेशन कोर्ट ने कहा सभी मामलों का सम व्यवहार अलग अलग, इसलिए ज्वाइंट ट्रायल संभव लेकिन सुनवाई और जजमेंट अलग अलग होंगे. किसानों द्वारा वर्ष 2019 में जमीन कब्जाने के 27 मुकदमे थाना अजीम नगर में दर्ज हुए थे. अब इस मामले में मजिस्ट्रेट ट्रायल एमपीएमएलए कोर्ट में सुनवाई होगी.

क्या है पूरा मामला?
ये मुकदमे जौहर यूनिवर्सिटी में किसानों द्वारा दर्ज कराए गए थे और इनकी एक साथ सुनवाई के लिए निगरानी याचिका कोर्ट में दाखिल की गई थी इन मुकदमों में जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण कार्यों, भूमि अधिग्रहण और अन्य मुद्दों से संबंधित आरोप लगाए गए हैं. आजम खान पर आरोप लगा था कि उन्होंने किसानों की जमीन पर कब्जा किया है. मामले की जब जांच की गई तो उन पर सरकारी जमीन पर भी कब्जा करने का आरोप लगा. इस मामले में राजस्व प्रशासन की ओर से मामले में केस दर्ज कराया गया. इसके बाद 26 किसानों ने अजीम नगर थाने में आजम खान के खिलाफ केस दर्ज कराया था.इससे पहले 28 अगस्त को आजम खान को एक अन्य मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी.

उनको 2019 में आचार संहिता उल्लंघन मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने बरी कर दिया था. सबूतों के अभाव के चलते उन पर आचार संहिता का उल्लंघन नहीं पाया गया और वह इस केस से दोषमुक्त हो गए थे. वहीं, जुलाई में डूंगरपुर प्रकरण में अदालत ने आजम खान को बरी कर दिया है. डूंगरपुर प्रकरण वर्ष 2016 का है, जब प्रदेश में सपा की सरकार थी और आजम खान कैबिनेट मंत्री थे. उन्होंने डूंगरपुर में पुलिस लाइन के पास गरीबों के लिए आसरा आवास बनवाया था. उन पर आरोप लगा कि इस दौरान कुछ लोगों के पहले से बने मकानों को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया गया था. प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद 2019 में गंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया था.

Related Posts