मुंबई, अगर कोई शख्स किसी महिला के शरीर को उसकी इजाजत से बिना छूता है तो वह उस महिला की मर्यादा और प्रतिष्ठा को आंच पहुंचाता है. इस तरह से वो महिला की लज्जा या शील भंग करने का अपराध करता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने ये बात एक औरत की इज्जत पर हाथ डालने के मामले में आरोपी ठहराए गए 36 साल के एक शख्स की याचिका खारिज करते हुए कही. न्यायाधीश मुकुंद. जी. सेविलकर की एकलपीठ ने परमेश्वर ढगे द्वारा जालना सेशन कोर्ट के 21 अगस्त के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका पर अपना फैसला सुनाया और याचिका खारिज कर दी. सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से सही ठहराया और आरोपी को आईपीसी की धारा 451 और 351-A के तहत दोषी माना.
महिला की ओर से पुलिस को दी गई जानकारी के मुताबिक 4 जुलाई 2014 को जब वह अपनी दादी सास के साथ घर पर अकेली थी. उसी दिन रात में आरोपी उनके घर आया और पति के बारे में जानकारी ली. इस पर महिला ने बताया कि आज उसके पति घर पर नहीं आएंगे. इसके बाद वह व्यक्ति वहां से चला गया लेकिन रात करीब 11 बजे वह महिला के घर पर घुस आया. उस वक्त महिला सो रही थी. इसी दौरान उसे महसस हुआ कि कोई उसका पैर छू रहा है. वह तुरंत उठी तो देखा कि वह व्यक्ति उसकी खाट पर बैठा हुआ है. महिला ने बताया कि उसके चिल्लाने के बाद आरोपी वहां से भाग निकला. महिला ने तुरंत इसकी जानकारी अपने पति को दी और घर आने को कहा. इसके बाद वह थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
एक खबर के मुताबिक आरोपी की ओर से पक्ष रखते हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला ने घर के दरवाजे की कुंडी अंदर से नहीं लगाई थी. यह बताता है कि उसका मुवक्किल महिला की सहमति से ही उसके घर में दाखिल हुआ था. वकील ने कहा मेरे मुवक्किल ने महिला का पैर किसी अश्लील इरादे से नहीं छुआ था. वकील ने कहा कि जब पति घर पर नहीं होता है तो महिलाएं घर का दरवाजा पूरी तरह से बंद रखती हैं. इसके साथी अगर महिला को ये सब गलत लगा तो शिकायत 12 घंटे के बाद क्यों दर्ज कराई गई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, यह साफ है कि याचिकाकर्ता ने एक औरत की इज्जत पर हाथ डालने का काम किया है. याचिकाकर्ता बिना महिला की इजाजत के उसके घर में घुसा और महिला की खाट पर बैठकर उसके पैर को भी हाथ लगा रहा था. याचिकाकर्ता का यह व्यवहार अश्लील इरादों को जाहिर करता है. कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता इस बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया कि वह आधी रात को आखिर पीड़िता के घर में क्यों था. याचिकाकर्ता ये जानते हुए कि महिला का पति घर पर नहीं है वह जान-बूझकर उसके घर में घुसा महिला को छूने की कोशिश की. कोर्ट निचली अदालत के फैसले को सही मानते हुए आरोपी ठहरए गए शख्स की याचिका खारिज करती है।