इजराइल को भारी पड़ रही है ईरान से जंग, नेतन्याहू का खजाना हुआ खाली! मुश्किल तो ये है

नई दिल्ली, ईजराइल के लिए ईरान के साथ युद्ध बेहद खर्चीला साबित हो रहा है. एक तरफ इजराइली हथियार नष्ट हो रहे हैं तो दूसरी तरफ ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने पर अरबों रुपए का खर्च हो रहा है.

मुश्किल तो ये है कि इजराइल के पास एयर डिफेंस की इतनी मिसाइलें नहीं हैं कि वो लंबे वक्त तक ईरान से जंग लड़ सके. हालांकि, हथियारों की किल्लत के बीच एक बार फिर अमेरिका ने मदद की है और 14 कार्गो विमानों से इजराइल में हथियार भेजे गए हैं.

हर धमाके से सिर्फ तबाही नहीं मचती बल्कि करोड़ों रुपए भी भस्म हो जाते हैं. इजराइल चाहे ईरान पर हमला करे या फिर खुद को ईरान के हमले से बचाए, उस पर हर धमाके के साथ युद्ध के खर्च का बोझ बढ़ता जा रहा है. एयर डिफेंस पर ही इजराइल हर दिन 17 अरब रुपए खर्च कर रहा है. इजराइल के एरो एयर डिफेंस की मिसाइल की कीमत करीब 16 करोड़ है. डेविड स्लिंग की मिसाइलों की कीमत करीब 8 करोड़ रुपए है.

गाजा ऑपरेशन में इजराइल ने खर्च किए 67 अरब डॉलर

अब ईरान के आत्मघाती ड्रोन हों या फिर बैलिस्टिक मिसाइल, इजराइली एयर डिफेंस से हर दिन करोड़ों रुपए की मिसाइलें दागी जा रही हैं. पहले गाजा और फिर ईरान के साथ युद्ध में इजराइल अरबों रुपए खर्च कर चुका है. 2024 में गाजा ऑपरेशन में इजराइल ने 67 अरब डॉलर खर्च कर दिया था. अब ईरान से चल रहे युद्ध में इजराइल हर दिन करीब करीब छह हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहा है.

अकेले फ्यूल और हथियारों पर रोजाना 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आ रहा है. इजराइल के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जब एक लाख सैनिक ड्यूटी पर होते हैं तो उनके वेतन और जरूरी इंतजामों पर हर दिन करीब 270 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इतने बड़े खर्च के बीच इजराइल में एयर डिफेंस की भारी कमी हो गई है. हालाकि नई रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से फिर हथियारों का जखीरा इजराइल पहुंचाया गया है.

अमेरिका और जर्मनी से पहुंची हथियारों की खेप

इजराइल में 14 कार्गो विमानों की लैंडिंग हुई है. अमेरिका और जर्मनी से हथियारों की खेप पहुंची है. गाजा अभियान के बाद से 800 कार्गो विमान अब तक इजराइल पहुंच चुके हैं. कार्गो विमानों से किस तरह के हथियार भेजे गए हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है इजराइल के एयर डिफेंस को मजबूत किया जा रहा है.

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल एरो-3 मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है. आने वाले वक्त में एरो-3 मिसाइलों की भारी कमी हो सकती है. ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को भविष्य में इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकेगा. अमेरिका के लिए चिंता की बात ये है कि अगर ईरान के साथ युद्ध लंबा खिंचा तो इजराइल की सुरक्षा कैसे की जाएगी.

ईरान से इजराइल को हवाई सुरक्षा देने के लिए अमेरिका अपनी नेवी की तैनाती बढ़ा रहा है. फिलहाल एयर डिफेंस के साथ फाइटर जेट से भी ड्रोन पर हमले हो रहे हैं लेकिन इसके लिए एयर टू एयर मिसाइलों का इस्तेमाल हो रहा है. ईरान अगर ड्रोन से हमले जारी रखता है तो इजराइल के पास एयर टू एयर मिसाइलों की भी भारी किल्लत हो जाएगी.

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