नई दिल्ली, सोने और चांदी की कीमतों में पिछले 12 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट से वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है। रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे निवेशकों द्वारा की जा रही जमकर मुनाफावसूली और अमेरिकी ‘शटडाउन’ के कारण पैदा हुई अनिश्चितता के चलते बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट एक अस्थायी ‘करेक्शन’ है, न कि तेजी के रुख का अंत।
12 साल की सबसे बड़ी गिरावट
सोना, जिसे अब तक सबसे सुरक्षित निवेश (Safe Haven) माना जाता रहा है, बीते दिनों भारी उथल-पुथल से गुजरा है। मंगलवार को इसकी कीमतों में 6.3% की भारी गिरावट दर्ज की गई, जो बीते 12 वर्षों की सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट है। यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा, जब सोने की कीमत एक समय 2.9% टूटकर $4,004.26 प्रति औंस तक पहुंच गई। वहीं चांदी की हालत और भी खराब रही। मंगलवार को चांदी में 7.1% की गिरावट के बाद बुधवार को यह फिर से 2% से अधिक लुढ़ककर $47.6 प्रति औंस के करीब पहुंच गई।
मुनाफावसूली ने दी गिरावट को रफ्तार
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण जमकर हो रही मुनाफावसूली है। इस साल सोने और चांदी की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई थी, जिससे यह आशंका बढ़ रही थी कि कहीं यह एक ‘बबल’ (बुलबुला) तो नहीं बन रहा। अब वही निवेशक, जिन्होंने ऊंचे दामों पर खरीदी की थी, तेजी से मुनाफा काट रहे हैं। KCM ट्रेड के मुख्य विश्लेषक टिम वॉटरर ने कहा कि यह मुनाफावसूली एक ‘स्नोबॉल इफेक्ट’ की तरह बढ़ती गई और अंततः बाजार में बड़ी बिकवाली का कारण बनी।
अमेरिका का ‘शटडाउन
इस बिकवाली के बीच अमेरिका का ‘शटडाउन’ भी एक बड़ा कारण बनकर उभरा है। शटडाउन के चलते अमेरिकी कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (CFTC) की साप्ताहिक रिपोर्ट जारी नहीं हो पा रही है, जिससे निवेशकों के पास बाज़ार की सटीक जानकारी नहीं है। ANZ ग्रुप के विश्लेषकों ब्रायन मार्टिन और डेनियल हाइन्स ने कहा कि बड़े संस्थागत निवेशकों की ‘पोजिशन’ से संबंधित आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं, जिससे बाजार में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
अन्य बाजारों पर भी असर
सोने-चांदी की इस गिरावट का असर अन्य बाजारों पर भी देखा जा रहा है। एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख रहा, जहां ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग के सूचकांक गिरे, वहीं जापान के बाजारों में स्थिरता देखी गई। अमेरिकी बाजारों (वॉल स्ट्रीट) पर इस गिरावट का खास असर नहीं पड़ा। S&P 500 मंगलवार को लगभग सपाट बंद हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, शेयर बाजारों के निवेशक फिलहाल कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।
क्या खत्म हो गया है सोने का तेज़ी का दौर?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अब सोने की चमक फीकी पड़ गई है? विशेषज्ञों की राय में ऐसा नहीं है। यह गिरावट केवल एक ‘करेक्शन’ है, जो इतने बड़े उछाल के बाद स्वाभाविक है। सिटी इंडेक्स के फवाद रज़ाकज़ादा के अनुसार, हालिया रैली असाधारण थी, जो गिरती ब्याज दरों, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और मौद्रिक नीति में ढील की उम्मीदों से समर्थित थी। उन्होंने कहा कि बाजार कभी भी सीधी रेखा में नहीं चलते, और यह मान लेना जल्दबाज़ी होगी कि तेजी का दौर समाप्त हो गया है।




