नई दिल्ली, बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इसको लेकर आरजेडी सांसद मनोज झा, एडीआर और महुआ मोइत्रा समेत 10 लोगों ने याचिकाएं दायर की थीं।
याचिका में निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। मामले में आयोग की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी पेश हुए हैं। जबकि याचिकाकर्त्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायण दलीलें दे रहे हैं।
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कोर्ट से कहा कि एसआईआर पहली बार हो रहा है। यह किसी नियम में नहीं है, किसी कानून में नहीं है। ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है। इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा कि चुनाव आयोग वहीं कर रहा है जो संविधान में दिया गया है। तो आप ऐसा नहीं कह सकते हैं वे ऐसा कुछ कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। इस पर गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है। मैं दिखाऊंगा कि उन्होंने किस तरह से सुरक्षा उपाय दिए हैं। इस पूरी प्रकिया का कानून में कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले यह नहीं होना चाहिए था।
पढ़ें याचिकाकर्ताओं के वकील ने क्या कहा?
1. गोपाल शंकरनारायणन ने इस बात पर सवाल उठाया कि 2003 से पहले वालों केवल फ़ॉर्म भरना है। उसके बाद वालों को डॉक्यूमेंट लगाने हैं। यह बिना किसी आधार के यह भेद किया गया है। कानून इसकी अनुमति नहीं देता। इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा कि इसमें तो व्यावहारिकता भी जुड़ी हुई है। ECI ने यह तारीख़ इसलिए तय की क्योंकि यह कंप्यूटराइजेशन के बाद पहली बार हुआ था। तो इसमें एक रीज़निंग है।
2.गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि आधार को सभी मामलों में पहचान के लिए वैलिड डॉक्यूमेंट माना जाता है। लेकिन इसे वोटर वेरिफिकेशन में नहीं माना जा रहा है।
3.कपिल सिब्बल ने SIR की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। चुनाव आयोग कौन होता है कहने वाला कि हम सिटीजन नहीं हैं!
4. बिहार सरकार के सर्वे से पता चलता है कि बहुत ही कम लोगों के पास वो कागज हैं जो चुनाव आयोग मांग रहा है। पासपोर्ट केवल 2.5% लोगों के पास है, मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र 14.71% के पास है। वन अधिकार प्रमाणपत्र बहुत ही कम लोगों के पास है, निवास प्रमाणपत्र और ओबीसी प्रमाणपत्र भी बहुत कम लोगों के पास हैं। जन्म प्रमाणपत्र को बाहर रखा गया है, आधार को बाहर रखा गया है, मनरेगा कार्ड को भी बाहर रखा गया है।




