बेंगलुरु, कर्नाटक हाई कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की 27 किलो सोना, चांदी, हीरे के जेवरात और 1,562 एकड़ ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ तमिलनाडु एंटी-करप्शन डिपार्टमेंट को सौंपने का आदेश दिया है.
यह फैसला जयललिता की संपत्ति को 24 साल बाद बेंगलुरु से तमिलनाडु वापस लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
यह मामला उस समय का है जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता की मृत्यु हो गई थी. उन पर उनकी आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगा था. इस मामले में उनकी सहेली सासिकला, सुधाकरन और इलावरसी भी आरोपी थीं. बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने उन्हें 4 साल की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस सजा को रद्द कर दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल की जेल की सजा को बरकरार रखा, लेकिन जयललिता का निधन फैसले से पहले ही हो गया.
तमिलनाडु को मिलेगी जयललिता की 1,562 एकड़ ज़मीन और 27 किलो सोना
सासिकला, सुधाकरन और इलावरसी ने बेंगलुरु के पारप्पना अग्रहारा जेल में अपनी 4 साल की सजा पूरी की और रिहा हो गए. वहीं, जयललिता के असंगत संपत्ति मामले में जब्त की गई सभी संपत्तियों को 2004 में कर्नाटक सरकार के खजाने में स्थानांतरित कर दिया गया था. जब्त की गई वस्तुओं में 10,000 से अधिक साड़ियां, 750 जोड़ी जूते, घड़ियां, सोने और हीरे के जेवरात शामिल हैं.
अब बेंगलुरु कोर्ट ने जयललिता से जब्त किए गए 27 किलो जेवरात और 1,562 एकड़ ज़मीन के दस्तावेज़ तमिलनाडु एंटी-करप्शन डिपार्टमेंट को सौंपने का आदेश दिया है. यह प्रक्रिया 14 और 15 फरवरी को पूरी की जाएगी.
कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, तमिलनाडु एंटी-करप्शन पुलिस आवश्यक सुरक्षा, मूल्यांकन और वीडियोग्राफी के साथ इन वस्तुओं को लेने पहुंचेगी. कर्नाटक पुलिस भी इस कार्य के लिए सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराएगी. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जेवरात का मूल्यांकन किया जाए और पूरी प्रक्रिया को वीडियोग्राफी के जरिए रिकॉर्ड किया जाए.
जयललिता की संपत्ति का तमिलनाडु को वापस लौटना असंगत संपत्ति मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो दो दशक से अधिक समय से चल रहा है. यह फैसला इस लंबे चले मामले में एक नया मोड़ ला सकता है.