नई दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर सोमवार को रोक लगा दी, जिसमें यूपी सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नई सिलेक्शन लिस्ट तैयार करने को कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दोनों पक्षों से कहा कि वो लिखित दलीलें जमा कराए. इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की स्टडी के लिए वक्त चाहिए. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जून 2020 और जनवरी 2022 की सिलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वो 2019 में हुए (ATRE) सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार शिक्षकों के लिए नई सिलेक्शन लिस्ट तीन महीने में जारी करे.
हाई कोर्ट का क्या था आदेश
हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट हासिल कर लेता है तो उसका सिलेक्शन जनरल कैटेगरी में ही माना चाहिए. हाईकोर्ट के इस आदेश के चलते यूपी में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे शिक्षकों पर नौकरी खोने का खतरा मंडराने लगा था.
साथ ही, कोर्ट ने संबंधित पक्षों के वकीलों से कहा कि वे अधिकतम सात पन्नों के संक्षिप्त लिखित नोट दाखिल करें. बेंच ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई 23 सितंबर से शुरू होने वाले हफ्ते में तय करेगी. उप्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी शीर्ष अदालत में पेश हुईं.
‘टीचर्स को नहीं हो किसी तरह का नुकसान’
हाई कोर्ट ने अगस्त में, राज्य सरकार को प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नयी चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट की एक खंड पीठ ने महेंद्र पाल और अन्य की ओर से पिछले साल 13 मार्च को एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली 90 विशेष अपीलों का निस्तारण करते हुए यह आदेश जारी किया था.
बेंच ने निर्देश दिया था कि नयी चयन सूची तैयार करते समय, वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर किसी भी नुकसानदेह प्रभाव को कम किया जाना चाहिए, ताकि वे जारी शैक्षणिक सत्र को पूरा कर सकें.बेंच ने कहा था कि इस निर्देश का उद्देश्य छात्रों के पठन-पाठन में व्यवधान को रोकना है.