भीम आर्मी के प्रमुख ‘चंद्रशेखर आजाद रावण’ पर जानलेवा हमला, देखिए विडियो में क्या बोले रावण

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के देवबंद में भीम आर्मी के प्रमुख ‘चंद्रशेखर आजाद रावण’ पर जानलेवा हमला हुआ है। उन पर गोली चली है लेकिन वह बाल-बाल बच गए हैं। हालांकि वह घायल हुए हैं और उन्होंने दर्द में होते हुए भी इस हमले पर अपना बयान दिया है।

चंद्रशेखर आजाद रावण ने कहा, ‘मुझे याद नहीं है लेकिन मेरे लोगों ने उनकी पहचान की है। उनकी गाड़ी आगे सहारनपुर की तरफ भागी। हमने यू टर्न ले लिया। हमारी गाड़ी अकेली ही थी, कुल 5 लोग थे। हमारे साथी डॉक्टर को भी शायद गोली लगी है।’ मिली जानकारी के मुताबिक, चंद्रशेखर की कमर पर गोली से खरोंच आई है।

 

रावण ने कहा, ‘जिस समय हमला हुआ, उस समय हमारी गाड़ी अकेली थी और हमारे लोग आगे-पीछे थे।’ जब रावण से पूछा गया कि उनके लोगों ने हमलावरों का पीछा नहीं किया तो रावण ने कहा कि हमने यू टर्न ले लिया, उसके बाद क्या हुआ, मुझे पता नहीं है।

खून चल रहा था। शायद उनको गोली लगी है। मुझे और कुछ याद नहीं है, जब गोली चली तो मुझे थोड़ी घबराहट हुई। मैंने सहारनपुर के एक वरिष्ठ अधिकारी को फोन किया। मैंने उनको गोली चलने की जानकारी दी। मुझे दर्द हो रहा है तो मुझे लग रहा है कि मेरे गोली लग गई है। मैंने एसएसपी सहारनपुर को फोन किया था।’

SSP सहारनपुर ने कही ये बात

इस हमले पर एसएसपी सहारनपुर डॉ विपिन टाडा का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘गोली उनके पेट को छूते हुए गई। उनकी हालत स्थिर है, वह खतरे से बाहर हैं। पुलिस मामले की जांच करेगी और आवश्यक कार्रवाई करेगी।’

इस हमले पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, ‘सहारनपुर के देवबंद में आज़ाद सामाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद पर सत्ता संरक्षित अपराधियों के द्वारा जानलेवा हमला घोर निंदनीय एवं कायरतापूर्ण कृत्य है। बीजेपी राज में जब जनप्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं तो आम जनता का क्या होगा? यूपी में जंगलराज!’

कौन हैं चंद्रशेखर आजाद रावण

चंद्रशेखर आजाद रावण भीम आर्मी के प्रमुख हैं। उनका जन्म 3 दिसंबर 1986 को सहारनपुर स्थित घडकौली गांव में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी टीचर थे। चंद्रशेखर आजाद ने देहरादून से कानून की पढ़ाई की है। सहारनपुर में पिता के इलाज के दौरान उन्होंने दलितों पर अत्याचार होते देखा तो वह राजनीति में सक्रिय भाग लेने लगे और अमेरिका जाने का विचार त्याग दिया।

भीम आर्मी की स्थापना साल 2014 में चंद्रशेखर आजाद, दलित एक्टिविस्ट सतीश कुमार और विनय रतन आर्य ने की थी। ये संगठन बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा को मानता है और दलितों-पिछड़ों की आवाज को प्रखरता से उठाता है।

Related Posts