उत्तर भारत और दक्षिण भारत में गहरायेगा बिजली संकट, हो सकती है आठ घंटों तक कटौती

नई दिल्ली, भीषण गर्मी और कोयले की भारी कमी से भारत के कई हिस्सों में ब्लैकआउट की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके साथ ही एक नए बिजली संकट की आशंकाएं बढ़ रही हैं, जिससे एशिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी दहल सकती है।

बिजली की मांग बढ़ने से पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत और दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में आपूर्ति में कटौती बढ़ी है। कुछ स्थानों पर आठ घंटों तक कटौती के चलते कस्टमर्स या तो गर्मी सहने या बिजली के महंगे विकल्पों को अपनाने को मजबूर हो रहे हैं।

 

ब्लूमबर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक एडवोकेसी ग्रुप आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा, भले ही भारत में कटौती असामान्य बात नहीं है लेकिन इस साल एक बड़े बिजली संकट के संकेत मिल रहे हैं।

 

इस बार कोयले की कमी से ब्लैकआउट हो रहे हैं, जिस पर भारत का 70 फीसदी बिजली उत्पादन निर्भर है। इससे 2.7 लाख डॉलर की इकोनॉमी के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो रहा है, जो पहले से कोविड महामारी से उबरने की कोशिश कर रही है। सरकार बढ़ती महंगाई के साथ ही फ्यूल की कीमतों को काबू में करने के लिए जूझ रही है।

 

नॉमुरा होल्डिंग्स के मुताबिक, मेटल, अलॉयज और सीमेंट सहित कुछ छोटे और बड़े प्रोड्यूसर्स को घरेलू और ग्लोबल मार्केट में सख्ती के बीच एनर्जी पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। कोयले की शॉर्टेज के चलते देश के औद्योगिक उत्पादन पर दबाव बढ़ सकता है और इससे महंगाई जनित मंदी का झटका लग सकता है।

सोनल वर्मा की अगुआई वाले जापान के बैंक के इकोनॉमिस्ट्स ने 19 अप्रैल के एक नोट में कहा, “मांग और आपूर्ति दोनों से जुड़े फैक्टर इसके लिए जिम्मेदार हैं। देश के गर्मियों के सीजन की ओर बढ़ने के साथ इकोनॉमी के खुलने से बिजली की मांग बढ़ गई है। हालांकि कोयले के ट्रांसपोर्ट और कोयले के इंपोर्ट के लिए रेलवे की रैक्स की कमी के चलते आपूर्ति बाधित हो रही है।”

 

मौसम विभाग के मुताबिक, देश के कई हिस्सों में तापमान खासा ज्यादा बढ़ गया है, जिससे बार-बार हीट वेव की चेतावनी जारी करनी पड़ रही हैं। नई दिल्ली का तापमान 20 अप्रैल को 42.6 डिग्री सेल्सियस (108.7 डिग्री फॉरेनहाइट) तक पहुंच गया, जो पांच साल में सबसे गर्म दिन था। मार्च में राष्ट्रीय औसत 92 डिग्री रहा, जो 1901 के बाद का रिकॉर्ड है। विभाग ने इसी साल से रिकॉर्ड जुटाना शुरू किया था।

 

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल गनत्रा के मुताबिक, बिजली संकट के चलते देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों की कुछ टेक्सटाइल मिलों का परिचालन बंद हो गया है। कपास की ऊंची कीमतों के चलते उनके लिए महंगे डीजल से चलने वाले जेनरेटरों का उपयोग संभव नहीं है। उन्होंने कहा, इससे कपास की खपत में खासी कमी आएगी।

 

इस संकट से किसान भी बचे नहीं है। उत्तर प्रदेश के एक किसान मोहित शर्मा ने कहा कि उसे खेत में खड़ी मक्के की फसल की सिंचाई के लिए जूझना पड़ रहा है। उसने कहा, न तो रात में और न ही दिन में बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा, “शाम को बच्चे पढ़ नहीं सकते और रात को हम आराम नहीं कर सकते हैं।”

 

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की नवीनतम दैनिक कोयला रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू कोयले का इस्तेमाल करने वाले कुल 150 थर्मल पावर स्टेशनों में से 81 में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है। निजी क्षेत्र के थर्मल पावर प्लांट्स की स्थिति भी उतनी ही खराब है, जिनके 54 में से 28 संयंत्रों में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है।

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