अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने वाले खर्चों के लिए अभिभावकों पर कर सकती है दावा

रायगढ़, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने वाले खर्चों के लिए पैरेंट्स (अभिभावकों) पर दावा कर सकती है।

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जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस टिप्पणी के साथ दुर्ग फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने मामले में पुनर्विचार कर निर्णय लेने का आदेश देते हुए छह साल बाद फैसला सुनाया है।

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भिलाई स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त कर्मी भानूराम की बेटी राजेश्वरी ने साल 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तब हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर उसे फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत करने कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर उसने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया, इसमें उसने खुद की शादी के लिए 25 लाख रुपये पिता को देने के निर्देश देने की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने 20 फरवरी 2016 को उसका आवेदन खारिज कर दिया था। फैमिली कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद राजेश्वरी ने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

युवती ने कोर्ट को बताया कि उसके पिता को रिटायर होने पर करीब 75 लाख रुपये मिले हैं। इसलिए उसकी शादी के खर्च के लिए उसे 25 लाख रुपये दिलाया जाये। इसी याचिका पर निर्णय करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अविवाहित बेटी को अपने विवाह का खर्च पिता से लेने का अधिकार है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने खर्च के लिए पिता पर दावा कर सकती है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के प्रावधान अविवाहित बेटी के अधिकार को संरक्षित करता है।

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