नई दिल्ली, देश के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर टीसीएस (TCS) को पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम (PSP) का दूसरा फेज शुरू करने की अनुमति मिल गई है।
ई-गवर्नेंस प्रोग्राम के तहत भारत के लाखों लोगों का पासपोर्ट बनाया जाएगा. इसमें टाटा की कंपनी टीसीएस सबसे नई आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगी. टीसीएस इस बार e-passport भी शुरू करने जा रही है जिसका इंतजार कई वर्षों से है।
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टीसीएस ने ई-पासपोर्ट के बारे में कहा है, इसकी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी हम लेकर आ रहे हैं, लेकिन पासपोर्ट पास करना या छापने का काम केंद्र सरकार ही करेगी. लोगों के ऐसे सवाल हैं कि क्या ई-पासपोर्ट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक होगा या उसका रूप कैसा होगा. इस बारे में टीसीएस ने साफ कर दिया है कि e-passport पूरी तरह से पेपर-फ्री नहीं होगा और उसमें कुछ कागज भी होंगे. कागज की जरूरत इसलिए होगी क्योंकि वीजा स्टांपिंग का काम अभी चल रहा है जो कागज पर ही हो सकेगा. कंपनी का कहना है कि बाद में ऑटोमेशन के जरिये कागज की जरूरत को खत्म किया जा सकता है.
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चिप से लैस होगा पासपोर्ट
पासपोर्ट के जैकेट (ऊपरी पन्ना) में एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी होगी जिसमें सुरक्षा से जुड़ी सभी जानकारी दर्ज होगी. दुनिया के कई देशों में ई-पासपोर्ट है और कई देश इस पर काम भी कर रहे हैं. लेकिन भारत का ई-पासपोर्ट बाकी देशों से बिल्कुल अलग होगा. बस कुछ महीनों की बात है और भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा जहां ई-पासपोर्ट का चलन है. टीसीएस ने देश में पहले फेज का पासपोर्ट कार्यक्रम भी चलाया है जिसमें 8.6 करोड़ से अधिक लोगों को पासपोर्ट जारी किया गया. भविष्य में भारत के लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्से में यात्रा करेंगे और इससे पासपोर्ट बनाने का काम और तेज होगा.
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पासपोर्ट छापने और जारी करने के अलावा इससे जुड़े सभी काम टीसीएस ही देखेगा. इसके लिए तीसरा डेटा सेंटर तैयार किया जा रहा है जिसमें लोगों की जरूरी जानकारी स्टोर की जाएगी. पहले फेज में दो डेटा सेंटर बनाए गए थे. इस प्रोजेक्ट के लिए कंपनी सैकड़ों टेक्नोलॉजी वर्कर की भर्ती करेगी. इसके साथ ही पासपोर्ट सेवा केंद्र के लिए फ्रंट ऑफिस स्टाफ की भी भर्ती की जाएगी. ई-पासपोर्ट में बायोमेट्रिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस डाटा एनालिटिक्स, चैटबोट, ऑटो रेस्पोंस, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और क्लाउड का इस्तेमाल किया जाएगा. लोगों का जैसा उपयोग और अनुभव होगा, उस हिसाब से ई-पासपोर्ट में सुविधाएं जोड़ी जाएंगी.
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पासपोर्ट में फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल पहले से होता है. फिंगरप्रिंट भी बायोमेट्रिक का हिस्सा है. इसलिए ई-पासपोर्ट में फिंगरप्रिंट तो रहेगा ही, इसके अलावा भी कई तरह की सुविधाएं जोड़ी जाएंगी. व्यक्ति की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट के अलावा आईरिस और अल्गोरिदम का उपयोग होगा. आईरिस का प्रयोग वैसे ही होगा जैसा आधार आदि में किया जाता है. आईरिस से भी व्यक्ति की पहचान होती है और इससे फर्जीवाडे को रोकने में मदद मिलेगी. ई-पासपोर्ट में आईरिस की सुविधा भी बढ़ने जा रही है.
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