सीमा की महिला विंग सेल्फ और आईसीएमएआई की तरफ से मनाया गया वूमन डे

लखनऊ : काम करने से महिलाओं में आत्मविश्वास आता है। आप कुछ भी करिए लेकिन काम जरूर करिए। इस दौरान महिलाओं को आगे बढ़ाने में सबसे पहले उनका पैतृक परिवार, उसके बाद ससुराल और बाद में सोसायटी की भूमिका बहुत बड़ी हो जाती है। शनिवार को गोमती नगर स्थित आईसीएमएआई कार्यालय में अंतर्राष्ट्रीय वूमन डे 2024 कार्यक्रम में यह बाते निकल कर आई। हौसला – तब और अब पर समाज के अलग – अलग सेक्टर से आने वाली महिलाओं ने अपने अनुभव शेयर किए और बताया कि वह किस संघर्ष के साथ आगे बढ़ी। इस दौरान किन लोगों ने कैसे उनका समर्थन किया यह जानकारियां भी शेयर की। सीमा की महिला विंग सेल्फ और आईसीएमएआई की तरफ की यह कार्यक्रम किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल आलोक रंजन ने बताया कि समाज में बहुत बदलाव आया है। हौसला और जब्बात हो तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह अहमदाबाद आईआईएम में पढ़ाई कर रहे थें तब महिलाओं की संख्या महज 10 फीसदी थी। अब वह संख्या 30 से 40 फीसदी के बीच पहुंच गई है। यहां तक की सिविल सर्विस में अब हर साल लड़कियां ही टॉप कर रही है। यह हमारे समाज और सोसायटी के लिए अच्छा संकेत है।

महिलाओं के लिए बैंक चला रहे अच्छी योजनाएं

यूपी कॉपोरेटिव बैंक लिमिटेड के एडिशनल कमिश्नर धीरज चंद्रा ने बताया बैंक में बहुत सारी योजनाएं चल रही है। इससे महिलाओं को आर्थिक और समाजिक तौर पर मजबूत कर सकते है। इसमें ओडीओपी समेत सभी प्रमुख योजनाओं को प्रमोट किया जा रहा है। बैंक की तरफ से उनकी अलग – अलग योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई।

सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सकते है

वरिष्ठ अधिवक्ता बुलबुल गोडियाल और टाइम्स ऑफ इंडिया की वरिष्ठ पत्रकार सेल्वी शारदा ने इस दौरान लॉ, जस्टिस और पत्रकारिता के सेक्टर से आने वाली महिलाओं के बारे में जानकारी दी। दोनों ही वक्ताओं ने अपने – अपने अनुभव शेय किए। बुलबुल ने बताया कि उनकी बहुत कम उम्र में शादी हो गई थी। उस समय सबको लगा कि उनका कैरियर समाप्त हो गया है। हालांकि उसके बाद घर से समर्थन मिला। अपनी पढ़ाई पूरी की और 33 साल से वकालत के सेक्टर में काम कर रही है। साल 2012 में उनको एडिशनल एडवोकेट जनरल बनने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि सकरात्मक सोच के साथ ही आप आगे बढ़ सकते हो।

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