बन्द होगी फ्री UPI सेवा? जानिए क्या पड़ेगा लोगों पर असर, कितने लोग छोड़ेंगे ये सेवा

नई दिल्ली, UPI की शुरुआत के बाद से देश में लेन-देन की प्रक्रिया पूरी तरह से बदल गई है। कैश लेन-देन की जगह अब अधिकांश लोग ऑनलाइन UPI ट्रांज़ैक्शन को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाल ही में एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि UPI लेन-देन पर अतिरिक्त चार्ज लगाने का विचार चर्चा में है।

कई लोगों ने चिंता जताई है कि इस चार्ज के कारण UPI के उपयोग में गिरावट आ सकती है।

वर्तमान में, लोग सुरक्षित और तेज़ लेन-देन के लिए UPI का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन चार्ज लगने से उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

75 प्रतिशत लोग बंद करेंगे UPI का उपयोग

UPI ने भारत में बहुत तेज़ी से लोकप्रियता हासिल की है और यह अब पैसे के लेन-देन का सबसे आसान माध्यम बन गया है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अगर UPI लेन-देन पर शुल्क लगाया जाता है, तो लगभग 75 प्रतिशत उपयोगकर्ता इस सेवा का उपयोग बंद कर देंगे।

308 जिलों के लगभग 42 हजार लोगों पर किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि UPI लेन-देन पर किसी भी प्रकार का शुल्क लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। यह सर्वेक्षण 15 जुलाई से 20 सितंबर के बीच किया गया था, जिसमें यह देखा गया कि UPI तेजी से 10 में से 4 लोगों की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 37 प्रतिशत लोग अपने कुल खर्च का 50 प्रतिशत UPI के माध्यम से करते हैं। डिजिटल लेन-देन के मामले में क्रेडिट और डेबिट कार्ड का उपयोग भी काफी कम हो गया है। केवल 22 प्रतिशत लोग UPI लेन-देन पर शुल्क देने को तैयार हैं, जबकि 75 प्रतिशत से अधिक लोग इस विचार के खिलाफ हैं।

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, 2023-2024 के वित्तीय वर्ष में UPI लेन-देन की संख्या में 57 प्रतिशत और लेन-देन की मात्रा में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। UPI लेन-देन की संख्या पहली बार 131 बिलियन को पार कर गई, जबकि 2022-2023 में यह 84 बिलियन थी। मूल्य के हिसाब से, लेन-देन की कुल मात्रा 199.89 ट्रिलियन रुपये पहुंच गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 139.1 ट्रिलियन रुपये थी।

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