नई दिल्ली, दुनिया की 80 फीसदी आबादी को एक या उससे अधिक मच्छर (वेक्टर) जनित बीमारियों का खतरा है। इससे बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घरों के अंदर कीटनाशकों के छिड़काव (आईआरएस) को लेकर नया मैनुअल जारी किया है आईआरएस इन बीमारियों को नियंत्रण करने में बेहद कारगर है।
रिपोर्ट के अनुसार, मच्छर, मक्खियां, कीड़े और अन्य वायरस, परजीवी तथा बैक्टीरिया का प्रसार करते हैं। इसकी वजह से दुनियाभर में लाखों लोग संक्रमित हो जाते हैं। इन खतरनाक संक्रामक बीमारियों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, पीला बुखार, जीका वायरस रोग, लीशमैनियासिस और चगास रोग जैसे घातक संक्रमण शामिल हैं।
दो वेक्टर नियंत्रण तरीकों की सिफारिश
रिपोर्ट के अनुसार, मलेरिया पर लगाम लगाने के लिए डब्ल्यूएचओ बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए दो वेक्टर नियंत्रण तरीकों की सिफारिश करता है। पहला, कीटनाशक उपचारित जाल और दूसरा घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना। इसके तहत घरों और अन्य इमारतों के अंदर कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है।
मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज मच्छरों को मारने के लिए आईआरएस का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता है, लेकिन नए मैनुअल के साथ छिड़काव अन्य बीमारियों को फैलाने वाले कीड़ों को भी मारता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार मच्छर जनित बीमारियां गरीबी के कारण ज्यादा पनपती हैं और गरीब आबादी में मृत्यु दर अक्सर बहुत अधिक होती है। जो जो लोग इन बीमारियों से किसी तरह बच जाते हैं वे स्थायी रूप से अक्षम या विकृत हो जाते हैं।
नए मैनुअल की खास बातें
छिड़काव कवरेज- जितना संभव हो उतने लोगों की रक्षा करना और कमजोर समूहों की सुरक्षा पर विशेष जोर देना। स्वीकृति-अधिक संख्या में इकाइयों और संरचनाओं का छिड़काव करना, ताकि कीटनाशक ज्यादा प्रभावित हो सके। दक्षता-यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अभियान को निर्धारित समय पर पूर्ण किया जाए और प्रत्येक दिन ज्यादा से ज्यादा घरों में प्रभावी छिड़काव किया जाए। गुणवत्ता-यह सुनिश्चित किया जाए कि स्प्रे करने वाले सभी छिड़काव योग्य सतहों पर कीटनाशक की सही मात्रा इस्तेमाल करने के लिए सही प्रक्रियाओं और तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।