उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में सोमवार को 27 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इन प्रस्तावों से जहां एक ओर वाहन मालिकों और पुलिस वालों को राहत मिलने वाली है, वही प्रदेश में हजारों रोजगार के अवसर बढ़ने का रास्ता साफ हुआ है।
सेमी कंडक्टर यूनिट से लेकर एफडीआई तक के तमाम फैसलों ने यूपी में विकास की नई गंगा बहाने की तैयारी कर दी है। आइए विस्ता से जाने आज कौन-कौन से फैसलों पर मुहर लगी है और इन फैसलों से किस तरह से छात्रों, बेरोजगारों, किसानों, व्यापारियों को फायदा होने वाला है।
सबसे पहले उत्तर प्रदेश में व्यवसायिक वाहनों का टैक्स न जमा कर पाने वाले मालिकों के लिए राहत भरी खबर है। पहले की तरह इस बार भी कैबिनेट ने परिवहन विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें वाहन स्वामियों के बकाये टैक्स पर लगने वाले जुर्माने को माफ करने को कहा गया था। इसके लिए एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) शुरू की जाएगी। परिवहन विभाग जल्दी ही इसकी तारीख घोषित करेगा।
परिवहन विभाग के अफसरों ने कुछ समय पहले ही शासन को एकमुश्त समाधान योजना शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। इस पर मंजूरी मिलने के बाद अफसरों ने बताया कि वाहन मालिकों को बकाये टैक्स पर लगे जुर्माने में छूट दी जाएगी। इससे पहले भी इस तरह से छूट दी जा चुकी है। पिछली बार जब ऐसा हुआ था तब काफी संख्या में वाहन मालिकों ने इसका फायदा उठाया था।
परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जुलाई 2022 में परिवहन विभाग ने पहली बार ओटीएस लागू किया था। उस समय ₹1000 रुपये जमा करके ओटीएस का लाभ लेने के लिए वाहन मालिकों ने पंजीकरण कराया था। इस योजना में एक अप्रैल, 2020 अथवा उससे पहले जो वाहन आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत थे, उन पर अगर टैक्स बकाया था तो सभी वाहनों को जुर्माने में 100 प्रतिशत छूट दी गई थी।
बकायेदारों को होगा फायदा
परिवहन आयुक्त चन्द्रभूषण सिंह ने बताया कि टैक्स न देने वाले बकायेदारों की संख्या काफी है। इन्हें विभाग की ओर से टैक्स जमा करने के लिए कई बार नोटिस भेजा जा चुका है। इसके बाद भी इन्होंने टैक्स जमा नहीं किया। एक मुश्त समाधान योजना में ऐसे बकायेदारा अपने टैक्स पर लगे जुर्माने में 100 प्रतिशत की छूट पा सकते हैं। यह योजना तीन महीने के लिए होगी। इस विकल्प से उन्हें काफी लाभ मिलेगा।
उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे के लिए करोड़ों की लागत से 338 नए वाहनों को खरीदने की मंजूरी मिल गई है। कुछ समय पहले ही गृह विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव भेजा था। इसमें पीएसी के लिए 25 वाहन और यूपी-112 के लिए 313 वाहन खरीदे जाएंगे।
गृह विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक यूपी-112 में 175 वाहन बेकार हो गए हैं। इनके स्थान पर नए वाहनों की जरूरत बनी हुई है। कैबिनेट में इन वाहनों को खरीदने के लिए हरी झंडी दे दी गई। इसी तरह इसी कन्ट्रोल रूम में दूसरी श्रेणी के 138 और वाहन निष्प्रयोज्य पड़े हुए है। इनके स्थान पर ही नए वाहन को खरीदना जरूरी बताया गया। इनकी खरीद भी स्वीकृत कर दी गई। इसी तरह पीएसी में कई निष्प्रयोज्य वाहन हटा दिए गए। इनके स्थान पर 25 नए वाहनों को खरीदने की जरूरत बताई गई थी। इन वाहनों को खरीदने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया है।
यूपी सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए नई शीरा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके तहत चीनी मिलों के 19 प्रतिशत शीरा देशी मदिरा के लिए आवंटित कर दिया गया है। कैबिनेट के इस निर्णय की जानकारी आबकारी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नितिन अग्रवाल ने पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि एक नवंबर से 31 अक्तूबर तक शीरा वर्ष होता है। देशी मदिरा के लिए 19 प्रतिशत शीरे का रिजर्वेशन कर दिया गया है। यह शीरा डिस्टलरियों को दिया जाएगा। इससे देशी मदिरा का निर्माण होगा।
आबकारी के कुल राजस्व में देशी मदिरा की बिक्री से होने वाली आमदनी का योगदान 46 प्रतिशत है। नीति में यह भी प्रावधान किया गया है। कि 20 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से विनामयक शुल्क चीनी मिलों से लिया जाएगा। बताते चले कि पिछले शीरा वर्ष में भी 19 प्रतिशत का कोटा निर्धारित किया गया था।
प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के मरम्मत व रखरखाव के लिए 1949.74 करोड़ की परियोजना मंजूर कर ली है। यह कार्ययोजना पांच साल के लिए है। इससे 40 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित होगा।
इस रकम से 302 किमी लंबे आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे का रखरखाव होगा। कैबिनेट ने सोमवार को औद्योगिक विकास विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस निर्णय से एक्सप्रेसवे पर सुगम व सुरक्षित यातायात की निरंतरता बनी रहेगी। पहले से स्थापित टोल प्लाजा, सुरक्षा उपकरण, पुलिस चौकी आदि परिसम्पत्तियों का रखरखाव होगा।
यह काम इसी महीने से शुरू हो जाएगा। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसेव का निर्माण यूपीडा ने कराया है। यह काम भी यूपीडा ही कराएगा। इस खर्च में केंद्र सरकार की ओर से कोई भागीदारी प्रस्तावित नहीं है।
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे ही है। इस संशोधन का उद्देश्य अन्य राज्यों में पंजीकृत सोसाइटी, न्यास, कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने का अवसर प्रदान करना है।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी (भारत में विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम-2023 के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों को राज्य में अपने परिसर स्थापित करने की अनुमति देने का प्रावधान जोड़ा गया है।
इससे विदेशी विश्वविद्यालयों को यूपी में अपना परिसर खोलना आसान हो जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि यह कदम शिक्षकों और छात्रों के लिए नई संभावनाएं लेकर आएगा और राज्य की शिक्षा प्रणाली को अधिक समृद्ध बनाएगा। इस बदलाव से निजी विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने का अवसर मिलेगा, जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।
कैबिनेट ने सोमवार को राजधानी लखनऊ में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के परिसर की स्थापना के लिए 2.3239 हेक्टेयर भूमि को निःशुल्क प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। यह भूमि लखनऊ के सरोजनीनगर तहसील के परगना बिजनौर के ग्राम चकौली में स्थित है। जिलाधिकारी द्वारा इस भूमि का सर्किल रेट के आधार पर मूल्यांकन 9.29 करोड़ रुपये किया गया है। यह विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 2000 से 2500 छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा और उन्हें अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषाओं में दक्ष बनाएगा।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि यह निर्णय राज्य के युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने और विदेशों में नौकरी करने के अवसरों में वृद्धि करने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही सम्पूर्ण देश में जिन संस्थाओं में विदेशी भाषा ज्ञान की आवश्यकता होती है, उनमें भी रोजगार के अवसर में सहायक होगा। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि सीमित संसाधनों के बावजूद छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। इस परिसर की स्थापना से राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा और छात्रों को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।
प्रदेश सरकार ने सेमी कंडक्टर सेक्टर में वामा सुंदरी इंवेस्टमेंट के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। कंपनी यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में जेवर के निकट एक विशाल परियोजना स्थापित करेगी। इसमें 3706 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके जरिए 3780 लोगों को रोजगार मिलेगा। यह कंपनी 240000 यूनिट स्माल पैनल ड्राइवर आईसी, डिस्प्ले इंटीग्रेटेड सर्किट का निर्माण करेगी।
कैबिनेट ने सोमवार को आईटी विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इस कंपनी का फाक्सकान कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम होगा। 50 एकड़ में यह परियोजना लगेगी। इसके लिए प्रतिदिन 19 हजार केवीए बिजली की जरूरत होगी। 2000 एमएलडी पानी की प्रतिदिन जरूरत होगी। पांच साल के इस निवेश योजना में इस साल 479 करोड़ का निवेश होने जा रहा है।
योगी सरकार ने मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना’ के तहत 10 संरक्षण गृहों के निर्माण व संचालन को मंजूरी दे दी है। यह संरक्षण गृह वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या, अमेठी, मथुरा, फिरोजाबाद, बस्ती, झांसी एवं कानपुर देहात में बनेंगे।
कैबिनेट ने सोमवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। विभिन्न श्रेणियों में 100-100 की क्षमता के कुल 10 नवीन गृहों के निर्माण होगा। इनमें एक राजकीय बाल गृह (बालिका), एक राजकीय बाल गृह (बालक) तथा सात राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) किशोर न्याय बोर्ड सहित एवं एक प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल हैं।
साथ ही, कैबिनेट ने योजना के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के मद्देनजर संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया है। इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के अनुरूप 60:40 (केन्द्रांश-60 प्रतिशत राज्यांश-40 प्रतिशत) के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान किया गया है।
राज्य सरकार ने पान मसाला, तंबाकू और गुटखा समेत इस तरह के संवेदनशील उत्पाद बनाने कंपनियों के लिए मशीनों का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया है। ऐसी कंपनियों को राज्य जीएसटी में इसका पंजीकरण कराना होगा और रिटर्न दाखिल करते समय इसकी पूरी जानकारी उसमें देनी होगी कि कितनी मशीनों से कितना उत्पाद बनाया गया। पंजीकरण न कराने वाली कंपनियों पर प्रति मशीन के हिसाब से एक लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। केंद्र सरकार ने जीएसटी में इसका प्रावधान किया है। इसके आधार पर राज्यों को अपने यहां इसकी व्यवस्था करनी थी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश-2024 को मंजूरी के लिए रखा गया।
इसमें मशीनों को पंजीकरण के दायरे में लाने के लिए विशेष प्रक्रिया धारा -122 ‘क’ के अधीन व्यवस्था की गई है। जो भी कंपनियां इसका उल्लंघन करेगी, उसे प्रत्येक मशीन के लिए एक लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा।
इसके साथ ही मशीन सील कर दी जाएगी। पंजीकरण और जुर्माना राशि अदा करने के बाद इसे तीन दिन में वापस कर दिया जाएगा। इसके अलावा दो धाराओं धारा-2 (61) और धारा-20 में संशोधन किया गया है। धारा-2 (61) में संशोधन के माध्यम से इनपुट सेवा वितरक की परिभाषा में संशोधन किया गया है। इसके माध्यम से आईटीसी के दायरे को विस्तार दिया गया है। इससे जीएसटी पंजीकरणधारकों को राहत मिलेगी।
छह साल में सुधारेंगे यूपी की आबोहवा
प्रदेश सरकार ने यूपी की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। प्रदेश में विश्व बैंक की मदद से उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जाएगा। इससे जुड़े पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रस्ताव को सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस परियोजना के संचालन के लिए उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसमें एक शासी एवं कार्यकारी निकाय होगा। यह परियोजना छह साल यानि 2030 तक चलेगी।
यूपी एयरशेड आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन अपनाने वाला देश का पहला राज्य है। इसके तहत नगरीय वायु प्रदूषण घटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा कराए जाने वाले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में वर्ष 2021-22, 2022-23 व 2023-24 प्रदेश के विभिन्न शहरों द्वारा शीर्ष स्थान प्राप्त किए गए हैं।
इसी क्रम में प्रदेश की वायु गुणवत्ता में और अधिक सुधार की दीर्घकालीन कार्यवाहियों को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा क्लीन एयर मैनेजमेंट परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसका उद्देश्य प्रदेश में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एयरशेड आधारित रणनीति अपनाना है।
कार्बन फाइनेंसिंग से मिलेंगे 1119 करोड़
इस परियोजना के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन, औद्योगिक, परिवहन, कृषि एवं पशुपालन, डस्ट एवं अपशिष्ट प्रभावी क्षेत्रों में विभिन्न कार्य किए जाएंगे, ताकि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से 2741.53 करोड़ रुपये ऋण एवं ग्रांट तथा 1119 करोड़ कार्बन फाइनेंसिंग से प्राप्त होगा।
इससे एयरशेड आधारित वायु प्रदूषण नियंत्रण संबंधी अनेक कार्य किए जाएंगे, जिनमें वायु प्रदूषण नियंत्रण अनुश्रवण तंत्र की स्थापना, क्षेत्रीय ज्ञान केंद्रों के जरिए क्षमता विकास, उद्योगों में स्वच्छ उत्पादन प्रक्रिया एवं उसका अनुश्रवण, उर्वरक, कृषि, ई-मोबिलिटी के क्रियान्वयन से क्षमता विकास एवं ग्रीन जॉब्स के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में क्लीन कुकिंग के प्रसार के लिए महिलाओं को पर्यावरण सखी एवं स्वच्छ ऊर्जा उद्यमियों के रूप में रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे।
केन नहर प्रणाली के सुधार पर 1191 करोड़ होंगे खर्च
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार पर 1191.51 करोड़ रुपये खर्च होंगे। व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित इस लागत को सोमवार को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस परियोजना को बुंदेलखंड क्षेत्र के जल संकट से निपटने और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना भारत के नदी जोड़ो कार्यक्रम का एक अभिन्न हिस्सा है, जो 16 लिंक परियोजनाओं में से पहली है।
इस परियोजना के तहत केन नदी के अतिरिक्त जल को बेतवा नदी में प्रवाहित करने के लिए एक लिंक चैनल का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल जल संकट का समाधान होगा, बल्कि क्षेत्र में सिंचाई, जल विद्युत, और पेयजल आपूर्ति की सुविधाएं भी सुनिश्चित होंगी।
1.60 लाख किसानों को होगा लाभ
केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार से नहरों के क्षतिग्रस्त हिस्सों का नवीनीकरण होगा, जिससे जल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी। जनपद बांदा में 87,784 हेक्टेयर वर्तमान सिंचित क्षेत्र के साथ-साथ 79,191 हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र को भी सिंचाई का लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर 1,66,975 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी, जिससे लगभग 1,60,000 कृषकों को लाभ होगा।
इसी तरह कैबिनेट ने मध्य गंगा नहर परियोजना के द्वितीय चरण के पुनरीक्षण की परियोजना को भी मंजूरी प्रदान की है। इस पर 4909.92 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना की इस लागत को व्यय वित्त समिति द्वारा इस साल दो फरवरी को अनुमोदित कर दिया गया था। सिंचाई विभाग के तीसरे प्रस्ताव के रूप में कैबिनेट द्वारा ललितपुर में भौरट बांध परियोजना की पुनरीक्षित लागत को भी मंजूरी प्रदान की गई है। इस परियोजना पर 1237.25 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना की दूसरी बार पुनरीक्षित लागत को व्यय वित्त समिति का अनुमोदन 30 नवंबर 2023 को ही मिल गया था।
छतर मंजिल, चुनार किला और बरुआसागर निजी निवेश से चमकेंगे
पर्यटन विभाग राज्य की विरासत संपत्तियों को उपयोगी बनाएगा ताकि इनकी सुरक्षा-संरक्षण के साथ राजस्व की भी प्राप्ति हो सके। इसी क्रम में छतर मंजिल लखनऊ, चुनार का किला मीरजापुर और बरुआसागर किला झांसी को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाएगा। कैबिनेट ने सोमवार को इसकी मंजूरी दे दी। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति जयवीर सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। प्रदेश के प्राचीन तथा विरासत भवनों को एडाप्टिव री-यूज के तहत सार्वजनिक निजी सहभागिता पीपीपी मॉडल पर हेरिटेज होटल, रिजार्ट, म्यूजियम, माइस एवं टूरिज्म हॉस्पिटैलिटी आदि पर्यटन इकाई के रूप में विकसित की जाएगी। पहले से तीन संपत्तियों बरसाना जल महल मथुरा, कोठी रोशन-उद-दौला लखनऊ और शुक्ला तालाब के सन्निकट बारादरी कानपुर को पीपीपी के तहत विकसित किया जा रहा है।
90 साल तक हो सकेगी लीज
जयवीर सिंह ने बताया कि लखनऊ में 5.55 एकड़ में स्थित छतर मंजिल, मीरजापुर जिले में 21.94 एकड़ में स्थित चुनार किला और झांसी जिले में 7.39 एकड़ में स्थित बरुआ सागर किला को पीपीपी मोड पर दिया जा रहा है। इसकी निविदा पूरी हो चुकी है। इन्हें पहले 30 वर्षों, फिर 30-30 वर्षों के लिए दो बार नवीनीकरण किया जा सकेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 90 वर्ष होगी।
उन्होंने बताया कि चयनित निविदादाताओं द्वारा विरासत भवन में स्थलों को संरक्षित करते हुए पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को पर्यटकों एवं जन सामान्य के मध्य प्रसारित किया जाएगा। विरासत भवनों या किलों में स्थित धार्मिक स्थलों का विकास एवं जीर्णाोद्धार और संपर्क मार्ग का निर्माण किया जाएगा।
चयनित निविदादाताओं द्वारा स्थानीय विकास और रोजगार सृजन हेतु समीपवर्ती गांव को गोद लिया जाएगा तथा यहां के समुचित विकास के लिए कार्य किए जाएंगे। 25 प्रतिशत स्थानीय नागरिकों को रोजगार दिया जाएगा।
ओडीओपी के लिए बनेगा मार्ट
पर्यटन मंत्री ने बताया कि ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) प्रदर्शित करने के लिए मार्ट विकसित किया जाएगा। इसके विरासत सपंत्ति के ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने के लिए डिस्प्ले एरिया भी विकसित किया जाएगा, जो कि जन सामान्य के लिए खुला रहेगा। पर्यटकों को यहां स्थानीय व्यंजन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि बागपत जिले में पीपीपी मोड पर योग और आरोग्य केंद्र की स्थापना कराई जाएगी। इसके निर्माण के लिए कैबिनेट ने 68.40 हेक्टेयर भूमि क्रय किए जाने तथा ग्राम सभा की 1.069 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित करने की मंजूरी दी है।
लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी की लागत में वृद्धि
लखनऊ चकगंजरिया सिटी में बनने वाले डा. राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के पूर्ण होने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने इसके निर्माण लागत में वृद्धि कर दी है। पूर्व में मंजूर 388.573 करोड़ की लागत में वृद्धि कर दी गई है। नई लागत में 75.58 करोड़ की वृद्धि की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। चकगंजरिया सिटी में 22.61 एकड़ भूमि पर डा. राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी का निर्माण किया जा रहा है। इसमें आईएएस, पीसीएस और इसके समकक्ष अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्ष 2015 में इसके निर्माण के लिए 388.573 करोड़ रुपये की प्रशासनिक मंजूरी दी गई थी। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम को अब तक 369.144 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
राजकीय निर्माण निगम द्वारा अब तक 325 करोड़ रुपये खर्च कर 80 प्रतिशत काम पूरा कराया जा चुका है। पूर्व में स्वीकृति के आधार पर 44.144 करोड़ रुपये राजकीय निर्माण निगम को अभी और दिया जाना है। शेष 20 प्रतिशत काम अभी पूरा किया जाना शेष है। भवन को चालू हालत में करने के लिए 75.58 करोड़ रुपये की और जरूरत होगी। परियोजना की पुनरीक्षित लागत पर सेंटेज चार्ज अनुमन्य नहीं किया है।
परियोजना के पुनरीक्षित लागत 503.73 करोड़ का अनुमान लगाया गया था। इसके आधार पर व्यय वित्त समिति ने 474.27 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। भवन को न्यूनतम लागत में पूरा करने के लिए स्पोर्ट्स ब्लाक के निर्माण कार्य को स्थगित करते हुए 10.12 करोड़ रुपये घटा दिया गया है। शेष 75.58 करोड़ के प्रस्ताव को परियोजना में शामिल करते हुए मंजूरी दी गई है।
न्यायालय से उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र पाने वाले को मिल सकेगी ग्रेच्युटी
उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स-1961 में संशोधन किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक ने वित्त विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। दरअसल, प्रदेश में सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान किए जाने संबंधी प्रभावी नियमावली में कार्मिकों को ग्रेच्युटी भुगतान को लेकर व्यवस्था थी कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के बाद बिना ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त किए हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नामांकन किया है या उसके द्वारा किया गया नामांकन अस्तित्व में नहीं है। तो उसे देय मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की धनराशि सरकार के खाते में चली जाएगी।
मगर केंद्र सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज, पेंशन रूल्स-2021 के अधीन ग्रेच्युटी भुगतान के संबंध में व्यवस्था कर रखी है कि ऐसे किसी व्यक्ति को ग्रेच्युटी का भुगतान हो जाएगा, जिसके पक्ष में ग्रेच्युटी के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र किसी सक्षम न्यायालय द्वारा जारी किया गया हो। अब यूपी में भी यही नियम लागू होगा। सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र पाने वाले को ग्रेच्युटी का भुगतान हो सकेगा।
300 करोड़ से ज्यादा का निवेश का रास्ता साफ, मिलेगा 4500 लोगों को रोजगार
उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति में संशोधन करते हुए 300 करोड़ रुपये के निवेश पर प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है। इस नीति में बदलाव संबंधी आईटी विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इसके तहत नोएडा में पैजेट इलेक्ट्रानिक्स विर्निमाण प्राइवेट कंपनी द्वारा 300 करोड़ के निवेश के रास्ता साफ हो गया है। यह कंपनी मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक्स उपकरण का निर्माण करेगी। इसके जरिए 4500 लोगों को रोजगार मिलेगा। 300 करोड़ के निवेश में जमीन की कीमत शामिल नहीं है। इस नीति के तहत निवेशकों को वित्तीय व गैर वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
यह भी हुए निर्णय
-सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा, उ०प्र०, लखनऊ का त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 को मंजूर कर लिया गया। यह विधानमंडल सत्र में पटल पर रखा जाएगा।
– खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मूल्य समर्थन योजना के तहत धान क्रय के लिए सहकारिता विभाग के नियंत्रणाधीन उप्र कोआपरेटिव फेडरेशन लि(पीसीएफ) उ०प्र० कोआपरेटिव यूनियन लि० (पीसीयू) एवं उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ लि (यूपीएसएस) को राष्ट्रीयकृत बैंक से अल्पकालिक ऋण लिए जाने की शासकीय गारण्टी मंजूर कर ली गई। इसके अलावा पंचवर्षीय खाण्डसारी लाइसेंसिंग नीति में बदलाव संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर नहीं हो सका।