नई दिल्ली, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को उसकी समुद्री सीमा में एक बड़ा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस भंडार मिला है.कैसे ये पाकिस्तान की इकोनॉमी को बदलेगा और इसका भारत को क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है?
पाकिस्तान के प्रमुख टीवी चैनल ‘डॉन न्यूज टीवी’ ने शुक्रवार को एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से जानकारी दी कि करीब 3 साल के सर्वे के बाद इस भंडार का पता चला है. इस काम में पाकिस्तान को एक सहयोगी देश से भौगोलिक सर्वे करने में मदद मिली. उसके बाद ही पाकिस्तान की समुद्री सीमा में तेल भंडार होने की पुष्टि हो सकी.
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिजर्व
डॉन न्यूज टीवी की खबर के मुताबिक इस पेट्रोलियम रिजर्व के दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार होने की संभावना है. अब पाकिस्तान इस पेट्रोलियम भंडार का फायदा उठाने की तैयारी कर रही है. जल्द ही यहां पर कुंओं की खुदाई, एक्सप्लोरेशन इत्यादि के लिए बोलियां मंगवाई जा सकती हैं. हालांकि इसके बावजूद यहां से कच्चे तेल का प्रोडक्शन शुरू होने में कुछ साल का वक्त लग सकता है. सीनियर ऑफिसर का कहना है कि इस संबंध में पहल करने और जल्दी काम पूरा करने से पाकिस्तान की आर्थिक किस्मत बदलने में मदद मिल सकती है.
मौजूदा समय में वेनुजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है. जबकि सऊदी अरब, ईरान, कनाडा और इराक दुनिया के टॉप-5 देशों में शुमार हैं. वहीं अमेरिका के पास जमा किया गया सबसे बड़ा तेल भंडार है.
पाकिस्तान के अधिकारी ने बताया कि अगर ये क्रूड ऑयल की जगह प्राकृतिक गैस का भंडार निकलता है, तो ये पाकिस्तान के एलएनजी इंपोर्ट को रिप्लेस कर देगा. वहीं इसका इस्तेमाल आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की जगह किया जा सकेगा. हालांकि इस भंडार से एक्सप्लोरेशन पर ही 5 अरब डॉलर का निवेश करना होगा.
पाकिस्तान की इकोनॉमी का फायदा
पाकिस्तान अभी दुनिया के टॉप-30 क्रूड ऑयल इंपोर्टर में से एक है. इसका हर साल का क्रूड ऑयल इंपोर्ट 5 अरब डॉलर से अधिक का है. पाकिस्तान के लिए क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा सोर्स सऊदी अरब है. जबकि इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कुवैत और नीदरलैंड है.
अगर संयुक्त अरब अमीरात से तुलना की जाए, तो साल 2022 में उसने 402 अरब डॉलर का तेल एक्सपोर्ट किया. ऐसे में वह दुनिया का 18वां सबसे बड़ा तेल एक्सपोर्टर बन गया. जबकि तेल रिजर्व के मामले में वह 7वें स्थान पर है. यूएई में भी ज्यादातर तेल भंडार आबू धाबी के पास है, जबकि दुबई के पास सिर्फ 4 अरब बैरल तेल का भंडार है. इसके बावजूद दुबई की इकोनॉमी को तेल से जबरदस्त मजबूती मिली है.
क्या भारत के लिए होगा नुकसान?
पाकिस्तान में तेल भंडार मिलने का बड़ा असर भारत की इकोनॉमी पर भी पड़ सकता है. अगर तेल की बदौलत पाकिस्तान की इकोनॉमी मजबूत होती है, तो इससे उसकी सामरिक शक्ति भी बढ़ेगी. ये स्थिति भारत के अनुकूल नहीं होगी, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में 1947 से ही तनाव बना हुआ है.
इतना ही नहीं तेल भंडार की वजह से पाकिस्तान में वर्ल्ड की बड़ी इकोनॉमिक पावर की रुचि हो सकती है. इससे इस क्षेत्र में अशांति का माहौल भी बन सकता है. इराक के मामले में ये स्थिति पहले देखी जा चुकी है.