सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) पर फ़िलहाल रोक लगाई, सरकार से माँगा जवाब

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद सरकार से 7 दिनों में जवाब देने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अगली सुनवाई तक वक्फ सम्पत्तियों में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक भी लगा दी है। बता दें कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने की। वहीं केंद्र की तरफ से अपनी दलीलें पेश करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता थे। जबकि मुस्लिम निकायों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह कोर्ट में मौजूद थे।

SG तुषार मेहता ने जवाब के लिए माँगा वक्त

आज वक्फ याचिकाओं के दूसरे दिन की सुनवाई शुरू होते ही सबसे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने जवाब देने के लिए सात दिनों का वक्त माँगा। तुषार मेहता ने कहा की प्रतिवादी सरकार 7 दिनों के भीतर अपना एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहती है। उन्होंने अदालत में इस बात का आश्वासन दिया कि अगली तारिख तक वक्फ बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। अदालत के सामने ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सरकार ने आश्वासन दिया है कि अभी एक्ट के प्रावधान प्रभावी नहीं होंगे।

हम एक्ट पर रोक नहीं लगा रहे हैं- सुप्रीम कोर्ट

आज वक्फ कानून पर चर्चा के दौरान सरकार की तरफ से दलीलें पेश करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह बहुत कठोर कदम है कृपया मुझे दस्तावेजों और प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दें। यह मामला ऐसा नहीं है कि इस पर ऐसे ही विचार किया जा सके। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम अभी फैसला नहीं दे रहे हैं। यह तो अंतरिम आदेश होगा। सीजेआई ने आगे कहा कि हमारे सामने जो स्थिति है उसके आधार पर हम आगे बढ़ रहे हैं। हम नहीं चाहते कि स्थिति पूरी तरह से बदल जाए अभी हम एक्ट पर रोक नहीं लगा रहे हैं।

कोर्ट के फैसले पर क्या बोले ओवैसी

आज वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद AIMIM प्रमुख ओवैसी ने बयान देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड बनाने पर स्टे लगाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मैं JPC का सदस्य था। मैंने बिल का विरोध किया था। हम एक्ट के विरोध में हैं। ये हमारे अधिकारों पर चोट है। ये संविधान के खिलाफ है। हम आगे भी इसका विरोध करते रहेंगे।

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