लखनऊ, उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा का चुनाव अब अपने उत्तरार्ध में पहुंच चुका है. पांच चरणों के मतदान हो चुके हैं और अब दो चरणों का मतदान होना बाकी है. बचे हुए 2 चरणों में छठवें चरण का मतदान 3 मार्च को होगा.
विधानसभा चुनाव का यह छठवां चरण काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शलभ मणि त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, राम अचल राजभर, लालजी वर्मा और स्वामी प्रसाद मौर्य सहित, कई अन्य राजनैतिक दिग्गजों की किस्मत भी दांव पर है. आइए जानते हैं कि छठवें चरण में ऐसे कौन कौन से प्रत्याशी हैं जिन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
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उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीट है गोरखपुर सदर. क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. छठे चरण के चुनाव में योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. योगी लगातार कई बार सांसद रहने के बाद, 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अब पहली बार, गोरखपुर सदर से विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं. इनके खिलाफ चुनाव मैदान में चंद्रशेखर हैं, जबकि समाजवादी पार्टी से सुभावती शुक्ला चुनावी मैदान में है. वहीं बसपा ने ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान मे उतारा है और कांग्रेस से चेतना पांडे लड़ रही हैं.
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गोरखपुर की चिल्लू पार विधानसभा से हरिशंकर तिवारी लगभग 23 वर्ष तक विधायक रहे. लेकिन पिछली बार इस सीट से उनके बेटे विनय शंकर तिवारी विधायक चुने गए थे, जो इस बार भी चुनावी मैदान में हैं. इस बार यहां पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, क्योंकि उनके खिलाफ बीजेपी ने राजेश तिवारी को चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस से सोनिया शुक्ला और बहुजन समाजवादी पार्टी से राजेंद्र सिंह चुनाव मैदान में हैं.
चिल्लू पार विधानसभा का अपने आप में बहुत पुराना इतिहास है. यहां पर एक ही परिवार का दबदबा कई वर्षों तक रहा है. लेकिन 2022 के चुनाव में सबकी नजर इस सीट पर गड़ी हुई है कि क्या एक बार फिर तिवारी परिवार का विजय रथ आगे बढ़ेगा या रुक जाएगा.
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देवरिया जिले की रूद्रपुर सीट हाईप्रोफाइल सीट है. यहां से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह की साख दांव पर लगी है. जिनका मुकाबला भाजपा के मौजूदा विधायक व प्रदेश सरकार के पशुधन और मत्स्य राज्य मंत्री जय प्रकाश निषाद से है. तो वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी व पूर्व मंत्री रहे राम भुवाल निषाद भी निषाद वोट की सेंधमारी में लगे हैं. 2012 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह और 2017 में भाजपा के जयप्रकाश निषाद विधायक बने थे.
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देवरिया सदर सीट से योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी माने जाने वाले शलभ मणि त्रिपाठी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी शलभ मणि की साख दांव पर लगी है. इनकी टक्कर सपा के अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू से है. पिंटू भाजपा विधायक स्वर्गीय जनमेजय सिंह के बेटे हैं. शलभ मणि पत्रकार थे. उन्होंने करीब आठ साल पहले पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में एंट्री ली थी और भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. भाजपा ने इन्हें प्रवक्ता बनाया और धीरे-धीरे शलभ मणि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब होते गए. जिसका इन्हें इनाम मिला और ये मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार बन गए. यहां से बसपा से रामशरण सिंह और कांग्रेस से पुरुषोत्तम नारायण सिंह चुनाव लड़ रहे हैं.
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देवरिया जिले की पथरदेवा सीट, हॉट सीट है. यह सीट खास इसलिए भी है क्योंकि यहां से भाजपा के मौजूदा विधायक व कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही चुनाव मैदान में हैं. तो वहीं इनके धुर विरोधी समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व मंत्री रहे ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी इन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. बताते चलें कि कुशीनगर जिले की तत्कालीन सीट कसया से ये दोनों दिग्गज सात बार आमने-सामने लड़ चुके हैं, जिसमें ब्रम्हा चार बार जीते तो तीन बार शाही की जीत हुई है।
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इनके साथ ही बसपा से परवेज आलम चुनाव लड़ रहे हैं. परवेज सपा के पूर्व विधायक स्वर्गीय शाकिर अली के बेटे हैं. यह टिकट के दावेदार थे, लेकिन सपा ने परवेज को टिकट न देकर कुशीनगर की सीट पर लड़ते चले आ रहे ब्रम्हाशंकर पर भरोसा जताया और शाही के सामने चुनाव मैदान में उतार दिया. इस सीट पर कॉंग्रेस से अम्बर जहाँ चुनाव लड़ रही हैं।
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अंबेडकर नगर जिले की अकबरपुर विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रहे, राम अचल राजभर की 2022 के चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. राम अचल राजभर मायावती की सभी सरकारों में बड़े विभागों के मंत्री रहे हैं. लेकिन कुछ दिन पहले मायावती ने इनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्काषित कर दिया. इसके बाद राम अचल राजभर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. रामअचल राजभर अकबरपुर विधान सभा से अभी तक जितने भी चुनाव जीते हैं, वह बसपा के टिकट पर जीते हैं. राम अचल राजभर पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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बसपा से चुनाव लड़ रहे चंद्र प्रकाश वर्मा उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. चंद्र प्रकाश वर्मा लगातार दो बार अकबरपुर नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं और 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव हार चुके हैं. वहीं भाजपा से तीन बार विधायक और बसपा सरकार में मंत्री रहे धर्मराज निषाद भाजपा के प्रत्याशी हैं, जो अकबरपुर की लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं.
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बसपा से निष्काषित और कटेहरी से वर्तमान विधायक लालजी वर्मा इस चुनाव में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी हैं. कटेहरी विधानसभा क्षेत्र बसपा का गढ़ माना जाता है. 2017 विधानसभा चुनाव में जब पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी, उस समय भी बसपा से लालजी वर्मा ने इस सीट को जीतकर यहां बसपा का झंडा फहराया था. उन्होंने भाजपा के अवधेश द्विवेदी को हराया था।
लेकिन बदलते समीकरण में इस बार बसपा के लिए कटेहरी विधानसभा सीट पर नीला झंडा फहराना आसान नहीं होगा. भाजपा और निषाद पार्टी से एक बार फिर अवधेश द्विवेदी और बसपा से प्रतीक पांडेय चुनावी मैदान में है. प्रतीक पांडेय अकबरपुर से 1991 में शिवसेना सेना से विधायक रहे पवन पांडेय के पुत्र हैं और पवन पांडेय की ब्राह्मणों में मज़बूत पकड़ है. इसलिए लालजी वर्मा के लिए कटेहरी को दोबारा जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.
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बलरामपुर जिले में भी छठवें चरण यानी 3 मार्च को वोट डाले जाएंगे. जिले की चारों विधानसभा सीटों पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. लेकिन इसमें दो दिग्गजों के नाम प्रमुख तौर पर लिए जाते हैं. पहला नाम है भाजपा के सदर विधायक पलटूराम का, जो वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. पलटू राम देवीपाटन मंडल के दिग्गज नेता सांसद बृजभूषण शरण के करीबी माने जाते हैं. इस बार उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. पलटू राम के सामने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक जगराम पासवान मैदान में हैं. वहीं बसपा ने कैडर नेता हरीराम बौद्ध और कांग्रेस ने बबिता आर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है.
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बलिया नगर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है. जिनका मुकाबला सपा के पूर्व कद्दावर मंत्री नारद राय से है. दोनों के बीच आमने सामने की लड़ाई दिखाई दे रही है और दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है. सपा ने एक बार फिर यहां मुलायम सिंह की टीम के पुराने मेंबर नारद राय पर भरोसा जताया है. तो वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को बीजेपी ने सीटिंग विधायक और मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल का विधानसभा क्षेत्र बदलकर अपना प्रत्याशी बनाया है.
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बलिया के फेफना विधानसभा से बीजेपी के उम्मीदवार और खेल और संसदीय कार्य मंत्री उपेन्द्र तिवारी चुनाव मैदान में हैं. उपेंद्र तिवारी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, तो उनको बोल्ड करने के लिए पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी सपा के उम्मीदवार और उनके रिश्तेदार संग्राम सिंह यादव के लिए फील्डिंग सजा रहे हैं. इस विधानसभा सीट पर सपा उम्मीदवार संग्राम सिंह यादव के साथ साथ अम्बिका चौधरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर है. देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर कौन अपनी प्रतिष्ठा बचा पाता है.
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बलिया की बैरिया विधानसभा काफी चर्चा में है क्योंकि इस सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और संसदीय कार्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला की प्रतिष्ठा दांव पर है. दरअसल पिछली बार यहां से सुरेंद्र सिंह भाजपा के विधायक थे, लेकिन इस बार पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया. जिससे वह बागी हो गए और मुकेश साहनी की वीआईपी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां का चुनाव दिलचस्प होने का आसार हैं क्योंकि एक तरफ यहां योगी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं दूसरी तरफ इनके खिलाफ भाजपा के बागी विधायक सुरेंद्र सिंह ताल ठोक रहे हैं.
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महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट से बाहुबली नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे और नौतनवा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं. अमरमणि त्रिपाठी मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में, पत्नी मधुमणि समेत आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. अमनमणि त्रिपाठी पर भी पत्नी सारा सिंह की हत्या का आरोप है. अमन मणि ने 2017 का विधानसभा चुनाव जेल से ही जीता था और पहली बार विधायक बने थे. लेकिन इस बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अमन मणि की राह उतनी आसान नहीं है. भाजपा गठबंधन की निषाद पार्टी से चुनाव लड़ रहे ऋषि त्रिपाठी और धुर विरोधी सपा उम्मीदवार कुंवर कौशल सिह उर्फ मुन्ना सिंह उनको कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
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सिद्धार्थनगर जिले में विधानसभा चुनाव छठे चरण में होने हैं. इस चुनाव में इटवा विधानसभा से योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता माता प्रसाद पांडेय चुनाव मैदान में आमने सामने हैं. माता प्रसाद पांडेय सपा सरकार में दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं. साथ ही, जिले के बड़े नेताओं में से एक हैं. इसीलिए इस चुनाव में दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
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सिद्धार्थनगर जिले की बांसी विधानसभा से योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस चुनाव में उन्हें सपा के युवा चेहरे नवीन उर्फ मोनू दुबे से कड़ी चुनौती मिल रही है. मोनू दुबे पहली बार सपा से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन अंतिम समय में टिकट कंफर्म होने के बाद भी बीजेपी के जय प्रताप सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. वहीं बीएसपी से राधेश्याम पांडेय, कांग्रेस पार्टी से किरन शुक्ला, आप से प्रदीप पांडेय चुनाव मैदान में हैं।
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कुशीनगर के फाजिलनगर विधानसभा सीट से पूर्व में बसपा के कद्दावर नेता वर्ष 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हए स्वामी प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्या अब सपा से फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य पड़रौना विधानसभा से 2009, 2012 व 2017 में तीन बार विधायक चुने गए थे।
यहां स्वामी प्रसाद मौर्या की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. क्योंकि इस विधानसभा में भाजपा से लगातार दो बार विधायक रहे गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. तो वहीं सपा के बागी इलियास अंसारी को बसपा ने प्रत्याशी बनाकर स्वामी प्रसाद मौर्या को पटखनी देने के लिए घेराबंदी की है।
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कुशीनगर के तमकुही विधानसभा में कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार एक बार फिर चुनाव मैदान में है. लेकिन इस बार लल्लू की लगातार दो बार जीती सीट पर भी संकट गहराया हुआ दिखाई दे रहा है. इस सीट पर सपा के प्रत्याशी उदय नारायण गुप्ता व भाजपा के प्रत्याशी असीम राय ने भी मजबूत घेराबंदी कर रखी है. इस राजनीतिक घेराबंदी से तमकुही विधानसभा में अजय कुमार लल्लू की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है.।