राज कपूर ने हिन्दी सिनेमा को अलग पहचान दी। वे प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक – निर्माता थे। 1935 में मात्र 10 साल की उम्र में फिल्म इंकलाब से अभिनय की शुरुआत की। मेरा नाम जोकर, संगम, अनाड़ी, जिस देश में गंगा बहती है, उनकी कुछ बेहतरीन फिल्में रही। बॉबी, राम तेरी गंगा मैली, प्रेम रोग जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन भी किया। 1971 में पद्मभूषण और 1987 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुए। आज इस आर्टिकल में हम आपको राज कपूर की जीवनी के बारे में बताएगे।
राज कपूर का जन्म 4 दिसंबर 1924 को पेशावर में हुआ था। उनका जन्म पठानी हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम रणबीर राज कपूर था। उनके पिता का नाम पृथ्वीराज कपूर तथा उनकी माता का नाम रामशर्णी देवी कपूर था। उनके भाई का नाम शशि कपूर (1938-2017), शम्मी कपूर (1931-2011), नंदी कपूर (मृत्यु: 1931), देवी कपूर (मृत्यु: 1931) तथा उनकी बहन का नाम उर्मिला सियाल कपूर था। 1946 में राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने उनकी शादी अपने मामा की बेटी कृष्णा से करवाई। उनके बच्चों के नाम रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, राजीव कपूर तथा उनकी बेटी का नाम रितु नंदा (उद्योगपति राजन नंदा से शादी की), रीमा जैन (निवेश बैंकर मनोज जैन से शादी की) है।
शिक्षा
राज कपूर ने अपनी शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल, कोलकाता और कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून से प्राप्त की।
करियर
राज कपूर ने 1930 के दशक में बॉम्बे टॉकीज़ में क्लैपर-बॉय और पृथ्वी थिएटर में एक अभिनेता के रूप में काम किया, ये दोनों कंपनियाँ उनके पिता पृथ्वीराज कपूर की थीं। राज कपूर ने 1930 के दशक में बॉम्बे टॉकीज़ में क्लैपर-बॉय और पृथ्वी थिएटर में एक अभिनेता के रूप में काम किया, ये दोनों कंपनियाँ उनके पिता पृथ्वीराज कपूर की थीं। राज कपूर बाल कलाकार के रूप में ‘इंकलाब’ (1935) और ‘हमारी बात’ (1943), ‘गौरी’ (1943) में छोटी भूमिकाओं में कैमरे के सामने आ चुके थे। राज कपूर ने फ़िल्म ‘वाल्मीकि’ (1946), ‘नारद और अमरप्रेम’ (1948) में कृष्ण की भूमिका निभाई थी। इन तमाम गतिविधियों के बावज़ूद उनके दिल में एक आग सुलग रही थी कि वे स्वयं निर्माता-निर्देशक बनकर अपनी स्वतंत्र फ़िल्म का निर्माण करें। उनका सपना 24 साल की उम्र में फ़िल्म ‘आग’ (1948) के साथ पूरा हुआ। राज कपूर ने पर्दे पर पहली प्रमुख भूमिका ‘आग’ (1948) में निभाई, जिसका निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया था। इसके बाद राज कपूर के मन में अपना स्टूडियो बनाने का विचार आया और चेम्बूर में चार एकड़ ज़मीन लेकर 1950 में उन्होंने अपने आर. के. स्टूडियो की स्थापना की और 1951 में ‘आवारा’ में रूमानी नायक के रूप में ख्याति पाई। राज कपूर ने ‘बरसात’ (1949), ‘श्री 420’ (1955), ‘जागते रहो’ (1956) व ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) जैसी सफल फ़िल्मों का निर्देशन व लेखन किया और उनमें अभिनय भी किया। उन्होंने ऐसी कई फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें उनके दो भाई शम्मी कपूर व शशि कपूर और तीन बेटे रणधीर, ऋषि व राजीव अभिनय कर रहे थे। यद्यपि उन्होंने अपनी आरंभिक फ़िल्मों में रूमानी भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन उनका सर्वाधिक प्रसिद्ध चरित्र ‘चार्ली चैपलिन’ का ग़रीब, लेकिन ईमानदार ‘आवारा’ का प्रतिरूप है। उनका यौन बिंबों का प्रयोग अक्सर परंपरागत रूप से सख्त भारतीय फ़िल्म मानकों को चुनौती देता था। राज कपूर बाल कलाकार के रूप में ‘इंकलाब’ (1935) और ‘हमारी बात’ (1943), ‘गौरी’ (1943) में छोटी भूमिकाओं में कैमरे के सामने आ चुके थे। राज कपूर ने फ़िल्म ‘वाल्मीकि’ (1946), ‘नारद और अमरप्रेम’ (1948) में कृष्ण की भूमिका निभाई थी। इन तमाम गतिविधियों के बावज़ूद उनके दिल में एक आग सुलग रही थी कि वे स्वयं निर्माता-निर्देशक बनकर अपनी स्वतंत्र फ़िल्म का निर्माण करें। उनका सपना 24 साल की उम्र में फ़िल्म ‘आग’ (1948) के साथ पूरा हुआ। राज कपूर ने पर्दे पर पहली प्रमुख भूमिका ‘आग’ (1948) में निभाई, जिसका निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया था। इसके बाद राज कपूर के मन में अपना स्टूडियो बनाने का विचार आया और चेम्बूर में चार एकड़ ज़मीन लेकर 1950 में उन्होंने अपने आर. के. स्टूडियो की स्थापना की और 1951 में ‘आवारा’ में रूमानी नायक के रूप में ख्याति पाई। राज कपूर ने ‘बरसात’ (1949), ‘श्री 420’ (1955), ‘जागते रहो’ (1956) व ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) जैसी सफल फ़िल्मों का निर्देशन व लेखन किया और उनमें अभिनय भी किया। उन्होंने ऐसी कई फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें उनके दो भाई शम्मी कपूर व शशि कपूर और तीन बेटे रणधीर, ऋषि व राजीव अभिनय कर रहे थे। यद्यपि उन्होंने अपनी आरंभिक फ़िल्मों में रूमानी भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन उनका सर्वाधिक प्रसिद्ध चरित्र ‘चार्ली चैपलिन का ग़रीब, लेकिन ईमानदार ‘आवारा’ का प्रतिरूप है। उनका यौन बिंबों का प्रयोग अक्सर परंपरागत रूप से सख्त भारतीय फ़िल्म मानकों को चुनौती देता था। मेरा नाम जोकर, संगम, अनाड़ी, जिस देश में गंगा बहती है, उनकी कुछ बेहतरीन फिल्में रही। बॉबी, राम तेरी गंगा मैली, प्रेम रोग जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन भी किया।
फ़िल्में
- 1970 मेरा नाम जोकर
- 1968 सपनों का सौदागर
- 1967 अराउन्ड द वर्ल्ड
- 1967 दीवाना
- 1966 तीसरी कसम
- 1964 संगम
- 1964 दूल्हा दुल्हन
- 1963 दिल ही तो है
- 1963 एक दिल सौ अफ़साने
- 1962 आशिक
- 1961 नज़राना
- 1960 जिस देश में गंगा बहती है
- 1960 छलिया
- 1960 श्रीमान सत्यवादी
- 1959 अनाड़ी
- 1959 कन्हैया
- 1959 दो उस्ताद
- 1959 मैं नशे में हूँ
- 1959 चार दिल चार राहें
- 1958 परवरिश
- 1958 फिर सुबह होगी
- 1957 शारदा
- 1956 जागते रहो
- 1956 चोरी चोरी
- 1955 श्री 420
- 1954 बूट पॉलिश
- 1953 धुन
- 1953 आह
- 1953 पापी
- 1952 अनहोनी
- 1952 अंबर
- 1952 आशियाना
- 1952 बेवफ़ा
- 1951 आवारा
- 1950 सरगम
- 1950 भँवरा
- 1950 बावरे नैन
- 1950 प्यार
- 1950 दास्तान
- 1950 जान पहचान
- 1949 परिवर्तन
- 1949 बरसात
- 1949 सुनहरे दिन
- 1949 अंदाज़
- 1948 अमर प्रेम
- 1948 गोपीनाथ
- 1948 आग
- 1947 जेल यात्रा
- 1947 दिल की रानी
- 1947 चित्तौड़ विजय
- 1947 नीलकमल
- 1982 वकील बाबू
- 1982 गोपीचन्द जासूस
- 1981 नसीब
- 1980 अब्दुल्ला
- 1978 सत्यम शिवम सुन्दरम
- 1978 नौकरी
- 1977 चाँदी सोना
- 1976 ख़ान दोस्त
- 1975 धरम करम
- 1975 दो जासूस
- 1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म
- 1971 कल आज और कल
- 1946 वाल्मीकि
- 1943 गौरी
- 1943 हमारी बात
- 1935 इन्कलाब
विवाद
- उनकी पत्नी कृष्णा, नर्गिस, पद्मिनी और वैजयन्ती माला जैसी भारतीय नायिकाओं के साथ उनके सबंधों से काफी परेशान रहती थीं, जिसके चलते वह कई बार उनका घर भी छोड़ देती थीं।
- वर्ष 1978 में, उन्होंने महान गायिका लता मंगेशकर से वादा किया कि वह उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर को फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में संगीत निर्देशक के रूप में नियुक्त करेंगे। लेकिन जब लता मंगेशकर एक संगीत दौरे पर संयुक्त राज्य अमेरिका गई हुई थीं, तब उन्होंने इस फिल्म के लिए हृदयनाथ मंगेशकर की जगह लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को संगीत निर्देशक के रूप में नियुक्त कर लिया। जिसके बाद लता मंगेशकर उनसे नाराज हो गईं।
- उन्होंने छोटे कपड़ों में नायिकाओं से दृश्य करवाए, जिसमें उनकी त्वचा जरूरत से ज़्यादा प्रदर्शित की जा रही थी। यही नहीं उन्होंने अपने सह-कलाकारों के साथ अभिनेत्रियों के साथ अर्ध नग्न दृश्यों को भी शॉट किया। जो कि उस समय भारत में इतना सामान्य नहीं था। जिसके चलते उन्हें दर्शकों द्वारा कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
पुरस्कार
- राज कपूर को सन् 1987 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया था।
- राज कपूर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन् 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
- 1960 में फिल्म अनाड़ी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया
- 1962 में फिल्म जिस देश में गंगा बहती है के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया।
- 1965 में उन्हे सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार संगम फिल्म के लिए दिया गया।
- 1972 में फिल्म मेरा नाम जोकर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1983 में उन्हे फिल्म प्रेम रोग के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार दिया गया।
मृत्यु
राज कपूर की मृत्यु 2 जून 1988 को नई दिल्ली में हुई।