बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है कैंसर का खतरा , 0 से 14 साल तक में पाए गए लक्षण,, दिल्ली वाले अधिक सावधान रहें

नई दिल्ली, भारत में भी बच्चे तेजी से कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। विशेषकर दिल्ली के बच्चे इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। बच्चों के कैंसर से पीड़ित होने के पीछे के कई कारण बताए जा रहे हैं।

एम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि बच्चों में कैंसर होने का जेनेटिक कारण प्रमुख है। मतलब अगर किसी बच्चे के माता-पिता को पहले से कैंसर है, तो उनके बच्चे में कैंसर होने की संभावना 95 फीसद तक होती है। चिंता वाली बात यह है कि अन्य राज्यों में जहां बच्चों में कैंसर रोग का प्रतिशत 2 फीसद तक दर्ज किया गया है, वहीं दिल्ली की बात करें तो यह आंकड़ा 4 फीसद के आसपास है। ऐसे में न केवल राजधानी के बल्कि अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों को भी इस दिशा में बेहद जागरूक रहने की जरूरत है। आज की खबर में हम कैंसर के लक्षण और बचाव तक पूरी जानकारी देंगे। पहले बताते हैं कि देशभर में एक साल के दौरान कितने लोग कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।

कैंसर के मामलों को भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इकठ्ठा करता है। इसके अनुसार भारत में हर साल 14 लाख कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। कैंसर बच्चों को भी रोगी बना रहा है। कैंसर रोगियों में चार प्रतिशत बच्चे दिल्ली से हैं और बाकी राज्यों से दो फीसद बच्चे हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल में 14 लाख कैंसर के रोगियों में से 8 लाख रोगियों की मृत्यु हो जाती है। मृतकों की आयु लगभग 35 से 40 साल की होती है। दिल्ली में हर साल लगभग 22 हजार से अधिक मामले बढ़ रहे हैं। एम्स कैंसर सेंटर और एम्स नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (झज्जर) के डाटा के अनुसार, दिल्ली में लगभग 21538 मरीज मिलते हैं, जिनमें 11435 पुरूष और 10103 महिलाएं होती हैं।

बता दें कि दिल्ली में 0 से 14 साल की उम्र के बच्चों में कैंसर ज्यादा पाया गया है। देश भर के राज्यों के तुलना में अकेले दिल्ली से 4 फीसद मामले आते हैं, वहीं पूरे देश भर से 2 से 3 फीसद मामले सामने आते हैं। बता दें कि दिल्ली से ज्यादा मामले आने के कारण यह है कि क्योंकि दिल्ली में कैंसर का इलाज अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर है। इसलिए देशभर के लोग दिल्ली में कैंसर के इलाज कराने आते हैं। इसी वजह से दिल्ली के आंकड़े अन्य राज्यों के अपेक्षा ज्यादा होते हैं।

बच्चों में कैंसर के लक्षण

बच्चों का अचानक से वजन कम होना।

बच्चे को बार-बार बुखार आना।

बच्चे की डाइट में कमी होना और भूख कम लगना।

बच्चों की हड्डियों में असहनीय दर्द होना।

बार-बार खांसी और मुंह से खून आना।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाओं की aamawaaz.in पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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