जैसा काम वैसा दाम की तर्ज पर हफ्ते में काम के दिनों की संख्या होगी चार, चार श्रम संहिताएं अगले वर्ष तक होंगी लागू

नई दिल्ली, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध, व्यवसाय सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर चार श्रम संहिताएं अगले वित्तीय वर्ष तक लागू होने की संभावना है। इस मामले में अब तक 13 राज्यों ने मसौदा नियम पूर्व प्रकाशित कर दिए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने इन संहिताओं के तहत नियमों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि श्रम एक समवर्ती विषय है। माना जा रहा है कि इन नियमों कै बाद कर्मचारियों को एक हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम करने का विकल्प भी दिया जा सकता है।

केंद्रीय श्रम, रोजगार और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस हफ्ते की शुरुआत में राज्यसभा में एक जवाब में कहा था कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता ही एकमात्र कोड है, जिस पर कम से कम 13 राज्यों ने मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित किया है। 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मजदूरी संहिता पर सबसे अधिक मसौदा अधिसूचनाएं पूर्व प्रकाशित की जा चुकी हैं। वहीं, औद्योगिक संबंध संहिता 20 राज्यों द्वारा और सामाजिक सुरक्षा संहिता 18 राज्यों द्वारा अनुसरण किया जाता है।

जानकारी के मुताबिक, नए नियमों रोजाना कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाए जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि सरकार कामकाज के घटों को बढ़ाकर 12 कर सकती है। हालांकि, सप्ताह में 48 घंटे ही काम करना होगा। अगर कोई व्यक्ति रोजाना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा। इस हिसाब से 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को हफ्ते में चार दिन काम करना होगा।

नए श्रम कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन पर भी असर पड़ेगा। कंपनियों को ऊंचे पीएफ दायित्व का बोझ उठाना पड़ेगा। इसके मुताबिक, बेसिक सैलरी कुल वेतन की 50 फीसदी या ज्यादा होनी चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा।

वहीं, भूपेंद्र यादव ने रविवार को समिति प्रणाली को संसद के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मीडियाकर्मियों के लिए आयोजित सजगता कार्यक्रम में कहा, संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट को लीक नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि बैठक के समय विभिन्न दलों के नेता समिति के एजेंडा पर चर्चा करते हैं और जब कमेटी अपनी अंतिम रिपोर्ट सदन में रखती है उसके बाद ही वह सार्वजनिक होनी चाहिए।

 

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संसद में विभागों से जुड़ीं कुल 24 समितियां हैं। इनमें से 16 लोकसभा की और आठ राज्यसभा की हैं। वहीं, समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति राजनीतिक दलों के सदस्यों की संख्या पर निर्भर है। संसदीय समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यसभा के चेयरमैन और लोकसभा के स्पीकर करते हैं।

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