कोरोना काल में जान बचाने वाला मास्क बना ‘केमिकल टाइम बम’ अब पहुंचा सकता है नुकसान

नई दिल्ली, कोरोना महामारी के समय मास्क हमारी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गया था. लोगों ने इसे अपनी सुरक्षा ढाल समझा. मगर अब वही मास्क जिसने हमे खतरनाक वायरस से बचाया, वो एक केमिकल टाइम बम बनकर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है.

सिर्फ हमारी सेहत नहीं बल्कि पर्यावरण भी इसके जद में है. ये खुलासा हुआ है एक रिसर्च में. कोवेंट्री यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक अन्ना बोगुश और उनके साथी इवान कूर्चेव ने इस पर रिसर्च की. उन्होंने अलग-अलग तरह के नए मास्क 150 मिलीलीटर पानी में 24 घंटे तक रखे और फिर पानी को फिल्टर किया. फिर जो नतीजा निकला वो चौंकाने वाला था.

मास्क क्यों नुकसान पहुंचा सकते हैं

दरअसल महामारी के दौरान करोड़ों की संख्या में डिस्पोजेबल मास्त इस्तेमाल हुए. हर महीने करीब 129 अरब मास्क दुनियाभर में इस्तेमाल किए जा रहे थे. ये ज्यादातर पॉलीप्रोपाइलीन जैसे प्लास्टिक से बने होते हैं. समस्या ये है कि इनका कोई सही रीसाइक्लिंग सिस्टम नहीं था. नतीजतन ज्यादातर मास्क लैंडफिल में फेंक दिए गए या फिर सड़कों, पार्कों, नदियों, समुद्र तटों और गांव-देहात में कचरे के रूप में बिखर गए. अब ये धीरे-धीरे टूटकर माइक्रोप्लास्टिक और खतरनाक केमिकल्स छोड़ रहे हैं.

 

जब वैज्ञानिक अन्ना बोगुश और उनके साथी इवान कूर्चेव ने मास्क रखे हुए पानी को फिल्टर किया तो हर मास्क से माइक्रोप्लास्टिक निकला. लेकिन सबसे ज्यादा खतरा उन FFP2 और FFP3 मास्कों से निकला जिन्हें महामारी के दौरान सबसे सुरक्षित बताया गया था. इनसे बाकी मास्कों के मुकाबले 4 से 6 गुना ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक बाहर आया. इन कणों का आकार 10 माइक्रोन से लेकर 2000 माइक्रोन तक था, लेकिन ज्यादातर छोटे कण (100 माइक्रोन से नीचे) थे. ये छोटे कण सबसे खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि ये आसानी से शरीर और पर्यावरण में घुल-मिल सकते हैं.

घातक केमिकल पर्यावरण में फैल चुका है

और तो और, जांच में ये भी पता चला कि मेडिकल मास्क से बिसफेनॉल बी (Bisphenol B) नाम का एक केमिकल भी निकलता है. ये एक एंडोक्राइन डिसरप्टर है, यानी शरीर के हार्मोन सिस्टम से छेड़छाड़ करता है और इस्ट्रोजन जैसा असर डाल सकता है. इंसानों और जानवरों दोनों पर इसका असर बेहद हानिकारक हो सकता है. अनुमान लगाया गया है कि महामारी के दौरान इस्तेमाल हुए मास्कों से 128 से 214 किलो बिसफेनॉल बी पर्यावरण में फैल चुका है.

Related Posts