नई दिल्ली, दूरसंचार विभाग ने यूनिफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में संशोधन किए हैं. नए बदलावों में कहा गया है कि टेलीकॉम, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और सभी अन्य टेलीकॉम लाइसेंस धारकों को कम से कम 2 साल के कमर्शियल और कॉल डिटेल रिकॉर्ड रखने होंगे।
फिलहाल, यह अवधि एक साल की है. खबर है कि विभाग की तरफ से नियमों में ये बदलाव कई सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोध के बाद किए गए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विभाग की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि सभी कॉल डिटेल रिकॉर्ड, एक्सचेंज डिटेल रिकॉर्ड और आईपी डिटेल रिकॉर्ड दो साल या सुरक्षा कारणों से सरकार की तरफ से ‘जांच’ के लिए निर्दिष्ट किए जाने तक आर्काइव करना जरूरी है. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को भी आईपी डिटेल के साथ ‘इंटरनेट टेलीफोनी’ की जानकारी को भी दो साल तक रखना होगा.
रिपोर्ट के अनुसार, विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यह एक प्रक्रियात्मक आदेश है. कई सुरक्षा एजेंसियों ने हमें यह बताया है कि चूंकि कई जांचें पूरी होने में ज्यादा समय लेती हैं, उन्हें एक साल के बाद भी डेटा की जरूरत होती है. बढ़ाई गई समयावधि पर सहमति जताने वाले सभी सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ हमारी बैठक हुई थी.’ लाइसेंस की शर्तों में गया है दिया गया है कि मोबाइल कंपनियों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को CDRs उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही आदेशों और खास निर्देशों पर अलग-अलग अदालतों में भी इन्हें पेश करना होगा. इसके लिए भी नियम हैं।
टेलीकॉम औऱ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि भले ही सरकार कंपनियों से कम से कम 12 महीने तक जानकारी रखने के लिए कहती हैं, लेकिन इन्हें 18 महीनों तक रखने का नियम है. एक अधिकारी ने बताया, ‘जब भी हम ऐसी जानकारी को मिटाते हैं, तो संपर्क अधिकारी या उस समय अवधि के अधिकारी सूचित करते हैं. अगर उचित कानूनी तरीके से कोई हमारे पास कोई अनुरोध आता है, तो हम वह जानकारी रख लेते हैं. लेकिन इसके बाद अगले 45 दिनों में सब खत्म कर दिया जाता है.’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ये जानकारियां टेक्स्ट फॉर्मेट में होती हैं, जिसके चलते इन्हें ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. साथ ही उन्होंने बताया कि 2 साल तक डेटा रखने में शायद ही कोई अतिरिक्त खर्च आएगा।