सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को लगाई फटकार, कहा “पतंजलि जो कर रहा वो कानून का खुला उल्लंघन’, लगाया जाएगा भारी जुर्माना

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह सभी प्रकार की बीमारियों के इलाज के असत्यापित दावे करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए। जिससे भ्रामक विज्ञापनों और असत्यापित दावों पर रोक लगाई जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही पतंजलि के मुखिया रामदेव और उनकी वाणिज्यिक इकाई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने पतंजलि से कहा कि वो कोई भी भ्रामक विज्ञापन और गलत दवा ने करे। साथ ही कोर्ट ने पंतजलि को चेतावनी देते हुए कहा कि नहीं तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘आप (पतंजलि) जो कर रहे हैं वह कानून का खुला उल्लंघन है। यदि आप ऐसा करते रहेंगे तो हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे और यहां तक कि प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये का जुर्मान लगाएंगे।’

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सभी बीमारियों का इलाज करने का दावा करने वाले और एलोपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता पर संदेह करके डॉक्टरों को बदनाम करने वाले सभी भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ आदेश देने की मांग की गई थी। याचिका में पतंजलि आयुर्वेद को प्रतिवादियों में से एक बनाया गया है, जिसमें पिछले साल जुलाई में प्रमुख समाचार पत्रों में जारी एक विज्ञापन का जिक्र किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एलोपैथी द्वारा दावा किए गए स्वास्थ्य लाभ ‘कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं’ और इस पर निर्भर लोग ‘नारकीय पीड़ा’ से पीड़ित हैं।

कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा इस बहस में पड़ने का नहीं है कि एलोपैथी श्रेष्ठ है या आयुर्वेद। शीर्ष अदालत ने केंद्र से सभी प्रकार के भ्रामक दावों से निपटने के लिए एक ‘व्यापक समाधान’ लाने को कहा।

पीठ ने कहा, ‘हम भ्रामक विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहते हैं, जिसमें झूठे दावे किए जा रहे हैं कि यह किसी विशेष बीमारी को ठीक कर सकता है।’ पीठ में न्यायमूर्ति पीके मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज को इस मुद्दे से पूरे तरीके से निपटने के लिए कहा, जहां नागरिक इन झूठे दावों से गुमराह न हों। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।

पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील साजन पूवैया पेश हुए। उन्होंने कहा कि याचिका में कई तथ्यों को दबाने की कोशिश की गई है। कंपनी और बाबा रामदेव के चुनिंदा बयान पेश किए गए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में पूवैया का बयान दर्ज किया कि कंपनी याचिका में उसके समक्ष उठाए गए मुद्दे पर कोई भ्रामक बयान प्रकाशित नहीं करेगी या प्रेस में कोई आकस्मिक बयान नहीं देगी।

 

आईएमए ने अपनी याचिका में योग गुरु द्वारा दिए गए बयानों की एक सीरीज को दोहराया था, जो पूरी तरह से झूठे हैं और उन पर डॉक्टरों को बदनाम करने और एलोपैथी के बारे में लोगों के मन में संदेह पैदा करने के लिए एक ठोस अभियान चलाने का आरोप लगाया था।

अधिवक्ता प्रभास बजाज के साथ आईएमए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा, ‘पतंजलि जीवन शैली संबंधी विकारों, असाध्य, पुरानी और आनुवांशिक बीमारियों, त्वचा रोगों, गठिया, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, अस्थमा सहित अन्य के लिए स्थायी समाधान का दावा करता है, जो एक कानून उल्लंघन है।’ आईएमए ने तर्क दिया कि एलोपैथी के खिलाफ इस तरह का बेरोकटोक गलत सूचना अभियान राज्य अधिकारियों द्वारा पूर्ण निष्क्रियता और उदासीनता के साथ जारी है।

Drugs and Magic Remedies (Objectional Advertisements) अधिनियम, 1954 के तहत ऐसे विज्ञापनों का प्रकाशन प्रतिबंधित है। 1954 अधिनियम की धारा 3 जीवनशैली संबंधी बीमारियों से जुड़ी किसी भी बीमारी के निदान, इलाज, शमन, इलाज या रोकथाम का दावा करने वाले किसी भी विज्ञापन पर रोक लगाती है। याचिका में कहा गया है कि अस्थमा को खत्म करने का पतंजलि का दावा सीधे तौर पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 का उल्लंघन है।

डॉक्टरों के संघ ने अदालत को बताया कि हालांकि पतंजलि आयुर्वेद जैसी प्रत्येक व्यावसायिक इकाई को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का अधिकार है, लेकिन एलोपैथी के बारे में गलत सूचना का निरंतर, व्यवस्थित और बेरोकटोक प्रसार रुकना चाहिए।

कोविड-19 महामारी के दौरान रामदेव ने जून 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर घोषणा की कि थी कि उनकी कंपनी ने कोविड-19 महामारी का इलाज विकसित कर लिया है। बाद में केंद्र ने एक नोटिस जारी कर पतंजलि से ऐसे झूठे दावे नहीं करने के लिए कहा था।

मई 2021 में एक अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम में महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान रामदेव ने एलोपैथी को ‘बेवकूफी और दिवालिया विज्ञान’ कहा और झूठा दावा किया कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद 1000 से अधिक डॉक्टरों की मृत्यु हो गई है।

आईएमए ने कई राज्यों में रामदेव और पतंजलि के खिलाफ उनके झूठे दावों पर आपराधिक मामले भी दर्ज कराए थे। रामदेव ने एक अलग कार्यवाही में सभी आपराधिक मामलों को एक ही स्थान पर ट्रांसफ करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, रामदेव के खिलाफ आईएमए द्वारा दायर मानहानि का मुकदमा दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।

रामदेव ने इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जवाब में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें बताया गया कि जून, 2021 में उन्होंने आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सकों को भगवान के दूत के रूप में सम्मानित किया था और लोगों से टीकाकरण कराने की अपील की थी।

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