नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार यानि की आज बुलडोजर एक्शन के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ किया कि भारत सेक्युलर कंट्री है.
यहां इस तरह की चीजें करना संवैधानिक रूप से गलत है. उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि भले ही किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो, क्या अपराध में शामिल होने पर उसके घर पर बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? एसजी ने नहीं में जवाब देते हुए कहा कि यह कहना कि किसी विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, यह गलत है. बुलडोजर की कार्रवाई से 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था.
बुलडोजर कार्रवाई का आधार नहीं बनाया जा सकता
आगे SG ने कहा कि अधिकांश चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा. केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है, उसे बुलडोजर कार्रवाई का आधार नहीं बनाया जा सकता. इसके लिए नोटिस जारी किया जाना चाहिए. अधिकांश नगरपालिका कानूनों में जिस विषय पर वे काम कर रहे हैं, उसके आधार पर नोटिस जारी करने का प्रावधान है.
इस पर जस्टिस गवई ने बोलते हुए कहा कि यहां तक कि एक राज्य में भी अलग-अलग कानून होंगे. तब जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि एक ऑनलाइन पोर्टल भी हो सकता है. इसे डिजिटाइज करें, अधिकारों की भी सुरक्षा करेंगे. जस्टिस गवई ने कहा कि हम स्पष्ट करेंगे कि तोड़फोड़ केवल इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि कोई आरोपी या दोषी है. इसके अलावा इस बात पर भी विचार करें कि बुलडोजर कार्रवाई के आदेश पारित होने से पहले भी एक संकीर्ण रास्ता होना चाहिए.
इसके साथ ही जस्टिस गवई ने कहा कि जब मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में था तब तो मैंने खुद फुटपाथों पर अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था. हम अदालतों को अनधिकृत निर्माण मामलों से निपटने के दौरान सतर्क रहने का निर्देश देंगे. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तोड़फोड़ की संख्या लगभग 4.5 लाख है. इसपर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि यह मेरी वास्तविक चिंता है. यह सिर्फ 2% मामले हैं. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि यह कुछ या 2% नहीं हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि तोड़फोड़ का आंकड़ा 4.5 लाख के बीच है. यह पिछले कुछ वर्षों के बारे में दिया गया एक सुसंगत आंकड़ा है. SG ने कहा कि जब मैं 2% कहता हूं, तो मैं कुल तोड़फोड़ का 2% कहता हूं. तत्काल न्याय के बारे में हम अखबारों में पढ़ते हैं. इसपर जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘बुलडोजर जस्टिस’.
आपको बता दें कि 17 सितंबर 2024 को जमीयत की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण को छोड़कर अन्य मामलों में बुलडोजर एक्शन (bulldozer action) पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, सड़क, फुटपाथ या रेलवे लाइन पर किए गए अवैध निर्माण पर ये निर्देश लागू नहीं होगा. इसके आगे कहा कि वह सभी पक्षों को सुनकर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देश भर में लागू होने वाले दिशा निर्देश बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा था कि एक अक्टूबर तक बिना हमारी अनुमति के देश में कहीं पर भी बुलडोजर एक्शन नहीं होगा.