भोपाल, , मध्य प्रदेश के भोपाल में विलुप्त हुए चीतों को फिर से बसाने के लिए भारत सरकार देश नामीबिया से कुछ चीतों को भारत लायी थी. इन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था.
इनपर नजर रखने और निगरानी के लिए इन चीतों के गलों पर कॉलर आईडी लगाया गया था. कूनो लाए गए कई चीतों की पिछले कुछ सप्ताहों में मौत हो चुकी है, जबकि कुछ के गले पर इंफेक्शन पाए गए हैं. संक्रमण की वजह से उनके गलों पर गहरे जख्म मिले हैं. कई विशेषज्ञों ने कॉलर आईडी को इसकी वजह बताया है. इन विशेषज्ञों का कहना है कि रेडियो कॉलर आईडी की वजह से चीते संक्रमित हो रहे हैं और उनकी मौत हो रही है. अब मध्य प्रदेश के नवनियुक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) असीम श्रीवास्तव ने चौंकाने वाला दावा किया है. उनका कहना है कि चीतों में संक्रमण की वजह कॉलर आईडी नहीं है.
मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव की हाल में ही नियुक्ति की गई है. कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं. इनमें कॉलर आईडी केंद्र में है. अब PCCF असीम श्रीवास्तव ने इसको लेकर चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, ‘कॉलर आईडी के बिना हमलोग चीतों की गतिविधियों की निगरानी या उनपर नजर नहीं रख सकते हैं. ऐसे में चीतों के गलों पर लगाए गए कॉलर आईडी नहीं हटाए जाएंगे. कॉलर आईडी में किस तरह से बेहतर किया जा सकता है या उसमें बदलाव की जरूरत है या नहीं, इस बाबत हम विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा करेंगे. चीतों में संक्रमण की वजह कॉलर आईडी नहीं है, क्योंकि भारत लाए जाने से पहले ही वे संक्रमित थे.’
#WATCH | Madhya Pradesh | "Without collars, we can't monitor the activities of these Cheetahs, so, collar would remain…Experts would advise us whether the collars need modification or not. The infection is not caused by the collar as they were already there when Cheetahs came… pic.twitter.com/m5StS9fSkw
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) July 24, 2023
कूनो में नामीबिया से चीते लाए गए थे. इसका उद्देश्य भारत में एक बार फिर से चीतों की आबादी को आबाद करना है, लेकिन पिछले कुछ सप्ताहों में 5 चीतों और 3 शावकों की मौत ने वन महकमे की नींद उड़ा दी है. मौत की वजहों का पता लगाने की कोशिश लगातार जारी है. तमाम कोशिशों और दावों-प्रतिदावों के बीच चीतों के गले पर लगाए गए कॉलर आईडी को संक्रमण का मुख्य वजह माना गया. कई विशेषज्ञों ने कहा कि कॉलर आईडी की वजह से चीते संक्रमित हुए और उसकी वजह से हुए जख्म के चलते उनकी मौत हो गई. पिछले दिनों तीन चीतों में संक्रमण पाया गया था.
कूनो नेशनल पार्क में फिलहाल 15 चीते और 1 शावक बचे हैं. इनमें से 4 चीते बाड़ों में बंद हैं और 11 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं. हाल ही दो चीतों की मौत कूनो में हो चुकी है. इनमें से एक चीता तेजस बाड़े में बंद था, तो दूसरा चीता सूरज खुले जंगल में घूम रहा था. गले में घाव हो जाने से सूरज की मौत हो गई थी. बता दें कि चीता प्रोजेक्ट केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. प्रोजेक्ट पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है.