Lucknow डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला को कौन नहीं जानता है. यूपी से लेकर बिहार तक में अपने डर का दबदबा बनाने में माहिर श्रीप्रकाश शुक्ला किसी पहचान का मोहताज नहीं है. डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला देश का एकलौता ऐसा क्रिमिनल है, जिसको मारने के लिए एक नई यूनिट का गठन किया गया, जिसका नाम था एसटीएफ. एसटीएफ यानी कि स्पेशल टास्क फोर्स.
श्रीप्रकाश शुक्ला कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगा. जीवित रहते हुए श्रीप्रकाश शुक्ला को पुलिस कभी गिरफ्तार नहीं कर पाई. एक पॉडकास्ट में आईपीएस राजेश पांडेय श्रीप्रकाश शुक्ला के बारे में कई रोचक किस्से बताते हैं. वो बताते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला को किसी बाबा ने बता दिया था कि अगर वह 101 हत्या कर देगा तो वह अमर हो जाएगा. उसे कोई मार नहीं पाएगा और एसटीएफ जब तक श्रीप्रकाश शुक्ला को एनकाउंटर में मारती तब तक वह कुल 86 मर्डर कर चुका था. इसके अलावा आईपीएस राजेश पांडेय ने बताया कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने कुल 35 ब्राह्मणों की हत्या की थी.
आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने वीरेंद्र शाही की हत्या बहुत ही निर्मम तरीके से की थी. पांच गोली सिर पर मारी थी. फिर पांच-पांच गोली दोनों आंख पर मारी थी. इसके अलावा IPS राजेश पांडेय बताते हैं कि एक बार जब श्रीप्रकाश शुक्ला का पीछे करते हुए पुलिस उसकी गाड़ी के पास पहुंची तो बीच सड़क पर उसने पुलिसवालों से अपनी गाड़ी का शीशा नीचे करने को कहा और फिर अपनी गाड़ी में रखी एके-47 को दिखाया, जिसके बाद सभी पुलिसवाले वहां से फरार हो गए.
रेलवे के ठेके को लेकर यूपी-बिहार में थी लड़ाई
आईपीएस राजेश पांडेय यह भी बताते हैं कि गोरखपुर रेल डिवीजन में ठेकेदारी को लेकर एक पक्ष में वीरेंद्र शाही और हरिशंकर तिवारी थे तो दूसरी तरफ बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह थे. सूरजभान सिंह के आदमी जब भी वहां टेंडर डालने जाते तो वहां उनके आदमियों के साथ मारपीट हो जाती थी. इस बीच वीरेंद्र शाही का दबदबा बढ़ता देख हरिशंकर तिवारी सूरजभान से मिल गए.