लखनऊ, बहुचर्चित शाइन सिटी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दुबई में बैठे राशिद नसीम की मुख्य एजेंट शशि बाला को पकड़ने में कामयाबी मिली है। हरदोई से गिरफ्तार की गई शशि बाला शाइन सिटी की छिपी हुई संपत्तियों के सौदे कर रही थी।
वह यहां मुख्य आरोपी राशिद नसीम का पूरा नेटवर्क संभाल रही थी। सूत्रों का कहना है कि राशिद दुबई में बैठकर बड़ी डील कर रहा था और अपनी संपत्तियां बेचने का अधिकार शशि बाला को दे रखा था।
ईडी ने राशिद नसीम के करीबियों व एजेंटों के 23 ठिकानों पर की गई छापेमारी के दौरान 1.6 करोड़ रुपये नकद व करोड़ों रुपये की कीमत के जेवर बरामद किए हैं। इसके अलावा शाइन सिटी संचालकों के नाम खरीदी गई कई ऐसी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं, जो अब तक जांच एजेंसियों की जानकारी में नहीं थीं। ईडी इन संपत्तियों की छानबीन में जुट गया है। इन संपत्तियों को भी जल्द जब्त किया जाएगा।
ईडी ने शुक्रवार को जिन 23 ठिकानों को खंगाला था, उनमें लखनऊ के ईस्टोन बिल्डर, दिल्ली के वर्धमान बिल्डर व भगवती डायमंड के ठिकाने भी शामिल थे। मुंबई में भी एक ठिकाने पर छानबीन की गई थी। आशंका यह भी है कि दुबई में बैठकर हीरो का कारोबार कर रहे राशिद नसीम की डील दिल्ली व मुंबई के कुछ ज्वैलर्स से भी चल रही थी। राशिद अपने एजेंटों की मदद से ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों को भी बेचने के प्रयास कर रहा था।
राशिद ने कई बिल्डर की मदद से अपनी कई संपत्तियों को छिपाकर रखा था। ईडी ने शुक्रवार को लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, हरदोई, आजमगढ़ के अलावा दिल्ली व मुंबई समेत कुल 23 ठिकानों पर छापेमारी की थी। देर रात तक चली छानबीन में कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज भी ईडी के हाथ लगे हैं। जिसके बाद ईडी ने राशिद के एजेंटों की संपत्तियों की पड़ताल भी शुरू की है। यह भी देखा जाएगा कि कहीं इन संपत्तियों में शाइन सिटी संचालकों ने निवेशकों की रकम तो नहीं लगाई थी।
हाई कोर्ट के निर्देश पर ठगी के इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा), एसएफआइओ (सीरियस फ्राड इंवेस्टीगेशन आफिस) व ईडी मिलकर कर रहे हैं। ईडी अब तक शाइन सिटी संचालक की 128.54 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुका है। यह संपत्तियां शाइन सिटी के प्रबंध निदेशक राशिद नसीम, उसके भाई आसिफ नसीम, शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, अमिताभ कुमार श्रीवास्तव व मीरा श्रीवास्तव के नाम खरीदी गई थीं। शाइन सिटी संचालकों ने निवेशकों को सस्ती दर पर प्लाट व फ्लैट की आकर्षक योजनाओं का झांसा देकर लगभग 60 हजार करोड़ रुपये की ठगी की थी।