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प्रयागराज, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एसडीएम को जन्म या मृत्यु तिथि के सत्यापन का कानूनी अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने एटा के एसडीएम सदर का आदेश निरस्त करते हुए छह सप्ताह के भीतर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने एटा के अंबारी गांव निवासी संतोष कुमार की याचिका पर दिया है। याची की तरफ से अधिवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने बहस की।
कोर्ट ने कहा, जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 की धारा 13(3) के अनुसार, जिस जन्म या मृत्यु का एक वर्ष के भीतर पंजीकरण नहीं किया गया है, उसे केवल प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यता की पुष्टि करने के बाद और उचित शुल्क भुगतान पर पंजीकृत किया जाएगा।
एटा एसडीएम सदर का आदेश हाई कोर्ट ने किया निरस्त
मजिस्ट्रेट द्वारा जन्म या मृत्यु की सत्यता सत्यापित करने के तरीके के संबंध में अधिनियम या नियमों के अंतर्गत कोई विशेष प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है। इसका तात्पर्य यह है कि अधिनियम की धारा 13 (3) के तहत मजिस्ट्रेट का संबंध केवल जन्म या मृत्यु के सत्यापन से है।
उपधारा (3) के अनुसार, मजिस्ट्रेट को जन्म या मृत्यु की तिथि का सत्यापन करने या मृत्यु अथवा जन्म की सटीक तिथि पर विवाद की स्थिति में जांच करने का अधिकार नहीं है। सत्यापन केवल जन्म या मृत्यु संबंधी तथ्य की सत्यता से संबंधित होना चाहिए। मजिस्ट्रेट को इस बात से संतुष्ट होना होगा कि जन्म या मृत्यु वास्तव में है?
कहा गया कि धारा 8 में उल्लिखित है कि कोई भी व्यक्ति जन्म या मृत्यु के पंजीकरण के लिए जानकारी देने के लिए बाध्य है, वह उनके ज्ञान या यहां तक कि विश्वास पर आधारित हो सकती है। यदि सत्यापन के बाद मजिस्ट्रेट इस बात से संतुष्ट नहीं है कि जन्म या मृत्यु वास्तव में हुई थी तो उसे पंजीकरण का आदेश जारी करने से इनकार कर देना चाहिए।
आवेदक की जरूरत के हिसाब से पंजीकरण करना होगा- कोर्ट
यदि वह इस बात से संतुष्ट है कि जन्म या मृत्यु हुई थी तो उसे पंजीकरण का आदेश देना होगा। उसे आवेदक की आवश्यकता के अनुसार पंजीकरण करना होगा और यदि कोई पीड़ित पक्ष है तो उसे सिविल फोरम या किसी अन्य उचित फोरम में उपचार लेने के लिए छोड़ देना होगा।
मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार, याची के पिता लटूरी सिंह की 12 जनवरी, 1987 को मृत्यु हो गई थी। आवश्यकता पड़ने पर याची ने 18 अक्टूबर, 2023 को पिता की मृत्यु के प्रमाण पत्र को एटा के एसडीएम सदर को प्रार्थना पत्र दिया। एसडीएम ने बीडीओ शीतलपुर को जांच कर सुस्पष्ट आख्या उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
बीडीओ ने ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) जिरसिमी से आख्या प्राप्त की। बीडीओ ने मृत्यु दिनांक स्पष्ट न होने के कारण प्रमाण पत्र निर्गत करने से इनकार कर दिया। बीडीओ ने यह आख्या एसडीएम सदर को भेजी तो एसडीएम ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। याची ने साक्ष्य के रूप में ग्राम प्रधान द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और पिता की मृत्यु के बाद वारिस के रूप में खतौनी की प्रवृष्टि प्रस्तुत की थी।