वैज्ञानिकों ने प्रलय को लेकर दी चेतावनी, कहा इंसानों के पास धरती को बचाने के लिए बहुत कम समय है

एक बार फिर दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों ने प्रलय को लेकर चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में ऐसी-ऐसी बातें कही हैं जिनके बारे में जानकर आप हिल जाएंगे।

धरती पर आने वाली आपदाओं को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं। दुनिया की सबसे बड़ी मैगजीन ‘नेचर’ ने वैज्ञानिकों का एक सर्वे किया है। विज्ञान की रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली मैगजीन के सर्वें में उनको शामिल किया गया था जो आईपीसी की क्लाइमेट रिपोर्ट तैयार करते हैं।

इस सर्वे में वैज्ञानिकों ने धरती पर हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर कई बड़ी बातें बताई हैं। वैज्ञानिकों ने धरती पर प्रलय के आने को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने इस सर्वें में बताया है कि धरती पर कब प्रलय आएगा। दुनिया में लोग बच्चे पैदा करें या न करें इसको लेकर भी बड़ी बातें कही हैं। आईए जानते हैं वैज्ञीनकों के उस रिपोर्ट के बारे में जिसने पूरी दुनिया हिलाकर रख दिया है।

वैज्ञानिका ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस सदी के आखिरी में धरती पर भीषण बदलाव देखने को मिलेंगे। 2100 तक धरती पर होने वाले भयानक बदलाव प्रलय की तरह होंगे। दुनियाभर के 233 वैज्ञानिकों ने आईपीसी की क्लाइमेट रिपोर्ट को तैयार किया है। इन वैज्ञानिकों में कोलंबिया में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एंटीकोइया की रिसर्चर पाओला एरियास भी शामिल थीं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से दुनिया में बदलवा हो रहे हैं। संसाधनों का दोहन किया जा रहा है। प्रदूषण और गर्मी लागतार बढ़ती जा रही है। इन सबके के बीच जीना कठिन होने वाला है। बारिश के पैटर्न में बदलाव की वजह से पानी की समस्या पैदा होगी। उनका कहना है कि आगे जाकर भयावह स्थिति होगी।

पाओला एरियास ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जैसे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है वैसे समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। मुझे नहीं लगता है कि दुनिया के नेता ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर सक्रिय हैं। वे बहुत धीरे-धीरे कार्य कर रहे हैं। इस प्रकार धरती को नहीं बचाया जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बड़ी संख्या में लोग एक साथ विस्थापित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से पता चलता है कि अब इंसानों के पास धरती को बचाने के लिए बहुत कम समय है।

यूनिवर्सिटी ऑफ एंटीकोइया की रिसर्चर की इस बात से दुनिया के कई वैज्ञानिक सहमत हैं। नेचर जर्नल के सर्वे में क्लाइमेट रिपोर्ट तैयार करने वाले 233 वैज्ञानिक शामिल हुए थे। इनमें 92 वैज्ञानिकों ने जवाब दिए हैं। 40 प्रतिशत वैज्ञानिकों ने साफ कहा कि 2100 तक धरती इतनी आपदाएं आएंगी जिसकी वजह के कई देश पूरी तरह तबाह हो जाएंगे। बेमौसम बारिश, बादल फटने की घटना, सुनामी, सूखा और बाढ़ जैसी आपदाएं उतपन्न होंगी जिसके चलते इंसान पेरशान हो जाएगा।

88 प्रतिशत वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्रलय जैसी आपदाएं आएंगी। जलवायु परिवर्तन से कई पीढ़ियां परेशान रहेंगी। वैज्ञानिकों ने तो जलवायु परिवर्तन की वजह से अपनी जीवन शैली बदल डाली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मन में सवाल यह खड़ा होता है कि बच्चे पैदा करें या नहीं, क्योंकि तबाह हो रही दुनिया में उन्हें लाने की क्या जरूरत है। हम उनको अच्छा भविष्य नहीं दे सकते हैं। उनका कहना है कि जब वे जलवायु परिवर्तन को लेकर सोचते हैं तो उनको बेचैनी होती है।

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