लखनऊ, शिक्षा निदेशक बेसिक लखनऊ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से जिले में बिना मान्यता प्राप्त किए संचालित स्कूलों के बारे में मांगी जानकारी, ऐसे विद्यालयों के खिलाफ की गई कार्रवाई की भी जानकारी उपलब्ध कराने का दिया निर्देश
जिले में बड़ी संख्या में बिना मान्यता प्राप्त किए चल रहे हैं प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालय, बीएसए ने बीईओ से अपने-अपने क्षेत्रों में बिना मान्यता के संचालित विद्यालयों की मांगी सूची
जनपद में बिना मान्यता प्राप्त किए बड़ी संख्या में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालय संचालित हैं। ऐसे विद्यालयों के प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने से बीएसए से लेकर बीईओ तक चुप्पी साधे हैं। शिक्षा निदेशक बेसिक लखनऊ की ओर से जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जिले में बिना मान्यता प्राप्त किए संचालित स्कूलों के बारे में मांगी गई और ऐसे विद्यालयों के खिलाफ की गई कार्रवाई की भी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया तो विभाग में खलबली मच गई। गम्भीरता को देखते हुए बीएसए ने सभी बीईओ से बिना मान्यता के संचालित स्कूलों की सूची मांगी है।
जिले में संचालित हैं बिना मान्यता के चार सौ से अधिक विद्यालय:
जनपद के सभी ब्लॉकों में बिना मान्यता हासिल किए करीब चार सौ से अधिक प्राथमिक स्तर व उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यालयों के संचालन पर रोक लगाने में बेसिक शिक्षा महकमा मौन साधे हुए है। जब डायरेक्टर ने ऐसे विद्यालयों के बारे में सूचना मांगी तो जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक के विभागीय अधिकारियों में खलबली मच गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी बीईओ से बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों की सूची मांगी है। साथ ही ऐसे विद्यालयों के खिलाफ की गई कार्रवाई की भी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। कई विद्यालय तो ऐसे हैं जो प्राथमिक स्तर की मान्यता प्राप्त कर इण्टरमीडिएट तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे विद्यालयों की संख्या शहर में अधिक हैं।
मान्यता हासिल करने का यह है नियम:
प्रदेश में 6 से 14 वय वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए राज्य सरकार की ओर से परिषदीय प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल, मान्यता प्राप्त एवं सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल, मान्यता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय तथा जूनियर हाईस्कूल संचालित किए जा रहे हैं। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पश्चात बिना मान्यता प्राप्त किए कोई स्कूल स्थापित / संचालित नहीं किया सकता। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 18 में स्कूल की मान्यता के सम्बन्ध में विभिन्न प्राविधान किए गए हैं। प्रदेश में बिना मान्यता प्राप्त किए कोई स्कूल न तो स्थापित किया जा सकता है और न ही संचालित किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति बिना मान्यता प्राप्त किये कोई स्कूल संचालित करता है, तो उसके विरुद्ध दण्ड का भी प्रावधान किया गया है। डायरेक्टर ने मण्डल / जनपद में बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों को चिह्नित करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने तथा कितने विद्यालयों के विरुद्ध कार्यवाही की गयी है। इसकी की सूचना संलग्न प्रारूप पर विद्यालयवार तैयार कराकर भेजने का निर्देश दिया है।
शर्तों के उल्लंघन पर वापस हो सकती है विद्यालय की मान्यता:
विद्यालयों की ओर से मान्यता की शर्तों के उल्लघंन करने पर प्राथमिक स्तर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और उच्च प्राथमिक स्तर व सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक अयोध्या मण्डल लिखित आदेश जारी कर मान्यता वापस ले सकता है। परन्तु ऐसे आदेश में आसपास के उस विद्यालय के बारे में निर्देश होगा। जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्ययन कर रहे बालकों को प्रवेश दिया जाएगा। परन्तु यह और कि ऐसी मान्यता को ऐसे विद्यालय को, ऐसी रीति में सूचना दी जाए। और सुनवाई का अवसर दिए बिना मान्यता वापस नहीं लिया जाएगा। ऐसा विद्यालय उपधारा (3) के अधीन मान्यता वापस लेने की तारीख से कार्य करना जारी नहीं रखेगा। कोई व्यक्ति जो मान्यता प्रमाण पत्र हासिल किए बिना कोई विद्यालय स्थापित करता है या चलाता है या मान्यता वापस लेने के पश्चात विद्यालय चलाना जारी रखता है। उससे एक लाख रुपए तक का जुर्माना वसूला जा सकेगा।
सभी खण्ड शिक्षाधिकारियों से उनके ब्लॉकों में बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों के बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। कई बीईओ के तबादले और यूपी बोर्ड परीक्षा में व्यस्त होने के कारण रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है। बिना मान्यता वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।