सुडोकू खेलने वालों के लिये दुखद खबर, सुडोकू के गॉडफादर’ माकी काजी का 69 साल का उम्र में हुआ निधन

सुडोकू के गॉडफादर’ माकी काजी का 69 साल का उम्र में निधन हो गया. उनकी पहचान एक पजल उत्साही और प्रकाशक के तौर पर होती थी. माकी जाकी की कंपनी ने उनके निधन की जानकारी दी. माकी जाकी एक यूनिवर्सिटी ड्रॉपआउट थे. उन्होंने पहेली पत्रिका की स्थापना से पहले एक प्रिटिंग कंपनी में काम किया. उन्होंने सुडोकू को दुनिया के सामने पेश किया था. उनकी कंपनी निकोली ने अपनी बेवसाइट पर कहा कि सुडोकू के गॉडफादर के रूप में जाने जाने वाले माकी काजी को दुनियाभर में पहेली प्रेमियों द्वारा प्यार दिया गया।

माकी काजी के निधन का कारण पित्त नली का कैंसर था. सुडोकू लगभग दो दशक पहले जापान के बाहर लोकप्रिय हुआ।

दरअसल, इसके लोकप्रिय होने की वजह विदेशी समाचार पत्रों द्वारा इसे छापना रहा. सुडोकू को मानसिक क्षमताओं को तेज रखने के तरीके के रूप में प्रशंसा की जाती है. सुडोकू को लेकर 2006 से हर साल एक विश्व चैंपियनशिप का आयोजन भी किया जाता है. काजी ने अपनी क्वाटरली पहेली पत्रिका के पाठकों की मदद से पहेलियां बनाना और उन्हें बेहतर बनाना जारी रखा. उन्होंने जुलाई में खराब स्वास्थ्य कारणों के चलते अपनी कंपनी के प्रमुख के रूप में पद छोड़ दिया।

 

बीबीसी से 2007 में बात करते हुए माकी जाकी ने बताया था कि जब मैं एक पहेली के लिए एक नया विचार देखता हूं, जिसमें बहुत अधिक संभावनाएं होती हैं तो मैं वास्तव में उत्साहित हो जाता हूं. उन्होंने कहा था कि बेहतर पहेली बनाने के लिए नियमों को आसान बनाना जरूरी होता है. काजी ने कहा था कि ये खजाना खोजने जैसा है. ये इस बारे में नहीं है कि ये पैसा कमाएगा या नहीं, ये कुल मिलाकर इसे हल करने की कोशिश करने का उत्साह है. बता दें कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग नियमित रूप से पहेली को हल करते हैं. यही वजह है कि ये लोगों के बीच खासा लोकप्रिय है।

सूडोकू एक तरह का तर्क वाला खेल होता है, जो एक वर्ग पहेली की तरह है. इस खेल को खेलने के लिए दिमाग को काफी तेज इस्तेमाल करना होता है. सुडोकू के नियम बेहद आसान हैं. मगर जब ये खेल खेला जाता है तो थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, एक बार सीख जाने पर इसे खेलना बेहद आसान होता है. इस खेल को आप अखबार पर छपे हुए भी देख सकते हैं. इसके अलावा सुडोकू को ऑनलाइन भी खेला जा सकता है।

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