जयपुर, मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में 31 जुलाई को एएसआई टीका राम सहित चार मुस्लिमों की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी आरपीएफ कॉस्टेबल चेतन सिंह चौधरी मानसिक तौर पर स्थिर था और वह जानता था कि वह क्या कर रहा है।
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की ओर से दायर आरोप पत्र में इसका खुलासा किया गया है। घटना के वक्त कहा जा रहा था कि आरोपी जवान का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था, जिसके चलते उसने ऐसा किया।
जीआरपी ने 1,000 पन्नों वाला आरोप पत्र मुंबई में एक स्थानीय अदालत के समक्ष दायर किया। जीआरपी के मुताबिक, ये आरोप पत्र 150 से अधिक गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने के बाद तैयार किया गया है। फायरिंग पालघर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन के कोच बी-5 में हुई। जवान को उसकी राइफल के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था।
GRP द्वारा अदालत में दायर चार्जशीट के अनुसार, चेतन सिंह चौधरी ने अपने मामा (मां के भाई) वासुदेव सोलंकी को फोन करके बताया कि उसने चार लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी है। पुलिस ने चार्जशीट में बताया कि चौधरी के अपने मामा के साथ अच्छे संबंध हैं, जो एक ड्राइवर हैं। वह रात भर काम करते हैं। अक्सर दोनों के बीच बात होती रहती थी। चार्जशीट में कहा गया है कि जब चौधरी ने सुबह 6.10 बजे कॉल की, तो सोलंकी ने फोन रिसीव किया। फिर उसने अपने मामा को बताया कि उसने अपनी राइफल से अपने वरिष्ठ अधिकारी और तीन यात्रियों को गोली मार दी है