रिसर्च में हुआ खुलासा : कोरोना को मात दे चुके लोगों को नहीं है वैक्सीन के दूसरे डोज की जरूरत

नयी दिल्ली , एक नये रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोनावायरस संक्रमण से उबर चुके लोगों को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने की जरूरत नहीं है. सीएनएन-न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर नॉर्थ-ईस्ट और असम मेडिकल कॉलेज की स्टडी के बाद दावा किया गया है कि जिन लोगों को कोरोनावायरस का संक्रमण हो चुका है और वे इससे उबर चुके हैं उन्हें सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड की दूसरी डोज लेने की जरूरत नहीं है।

रिसर्च में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद इंसानों में पहले से वायरस के खिलाफ इम्यून तैयार हो जाता है. ऐसे में कोविशील्ड की एक ही डोज वायरस से लड़ने के लिए शरीर में पर्याप्त इम्यून प्रतिक्रिया तैयार कर देता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस बात से देश में टीकाकरण करा रहे लोगों को काफी सुविधा होगी और वैक्सीन की कमी के कारण टीकाकरण अभियान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों की टीम ने 18 से 75 साल के महिला और पुरुषों पर यह अध्ययन किया है. अध्ययन में शरीर में तीन अवधि के दौरान IgG एंटीबॉडीज का अनुमान लगाया गया था. इसमें पहली अवधि वैक्सीन लगाने के बाद, दूसरी अवधि वैक्सीन लगाने के 25-35 दिन बार और तीसरी अवधि में वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के 25 से 35 दिन के बाद का आकलन शामिल है।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कोरोनावायरस से पहले संक्रमित हो चुके थे और उन्होंने वैक्सीन की पहली खुराक ले रखी थी उनमें एंटीबॉडी खास तौर पर ज्यादा पायी गयी. इस अध्ययन में कुल 121 लोगों को शामिल किया गया था. अध्ययन से एक व्यक्ति की इम्युनिटी लेवल के बारे में पता चलता है. इससे पता चला कि पहला डोज लेने के बाद संक्रमित हो चुके लोगों में इम्यूनिटी काफी बढ़ी मिली।

बता दें कि कोविशील्ड के दो डोज के बीच के अंतर को लेकर कई विशेषज्ञों में मतभेद है. विपक्ष इसे लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. इसे वैक्सीन की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार ने अभी कोविशील्ड के दो डोज के बीच 12-16 सप्ताह का अंतर रखा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार गुरुवार सुबह सात बजे तक देश भर में 30 करोड़ 16 लाख 26 हजार 028 वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं।

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