नई दिल्ली, पांच रुपये का सिक्का भारतीय बाजार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है लेकिन हाल ही में इसकी कमी से जनता में काफी चर्चा होने लगी है. अगर आप भी हाल के दिनों में बाजार से पांच रुपये के मोटे सिक्के की अनुपस्थिति पर गौर कर रहे हैं.
पुराने पांच रुपये के सिक्के काफी मोटे होते थे और इन्हें बनाने के लिए काफी मात्रा में धातु का इस्तेमाल होता था. इस धातु का उपयोग अन्य उत्पादों जैसे कि ब्लेड बनाने में भी होता है. जिस कारण से इन सिक्कों का दुरुपयोग भी शुरू हो गया था.
अवैध तस्करी की समस्या
इन मोटे पांच रुपये के सिक्कों की अवैध तस्करी भी एक बड़ी समस्या बन चुकी थी. खासकर बांग्लादेश में इन सिक्कों को पिघलाकर उनकी धातु से ब्लेड जैसे सामान बनाए जाते थे. एक सिक्के से बनने वाले छह ब्लेड और उनकी बिक्री से होने वाली आमदनी ने इस दुरुपयोग को और भी बढ़ावा दिया.
भारतीय रिज़र्व बैंक की कार्रवाई
जब यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पहुंची तो उन्होंने तत्काल इस पर ध्यान दिया और पांच रुपये के पुराने सिक्कों की तामीर को रोक दिया. इसके बाद बाजार से ये सिक्के धीरे-धीरे गायब होने लगे.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नए सिक्के के निर्माण में कई बदलाव किए. नए सिक्के पहले की तुलना में काफी पतले होते हैं और इनमें इस्तेमाल होने वाली धातु भी बदल दी गई है जिससे ये दुरुपयोग के लिए दोबारा प्रयोग हो गए हैं. नए सिक्के के मटेरियल से ब्लेड जैसी वस्तुएं नहीं बन सकतीं जिससे इनकी तस्करी में भी कमी आई है.
सिक्कों की भविष्य की योजना
आगे चलकर भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सिक्कों का निर्माण ऐसी धातु से हो जो न सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से सुरक्षित हो बल्कि इसका दुरुपयोग भी न हो सके. इससे भारतीय मुद्रा की सुरक्षा और मजबूत होगी और आम जनता के बीच इसकी स्वीकार्यता भी बढ़ेगी.