नई दिल्ली, लोकसभा में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक पारित हो गया है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पेपर लीक करने वालों पर नकेल कसना है। इस बिल में काफी सख्त प्रावधान किए गए हैं।
इस बिल के तहत पेपर लीक का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा होगी और एक करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगेगा। अगर कोई शख्स किसी दूसरे कैंडीडेट की जगह एग्जाम देने जाता है और दोषी पाया जाता है तो उसे 3 से 5 साल की सजा होगी।
इस विधेयक के जरिए यूपीएससी, एसएससी आदि भर्ती परीक्षाओं और एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसे प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं पर नकेल कसी जाएगी। इसमें धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए न्यूनतम तीन से पांच वर्ष के कारावास के दंड का प्रस्ताव है और धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल का कारावास और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा।
केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने विधेयक की आवश्यकता और महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा है कि पिछले कुछ सालों में प्रश्नपत्रों के लीक होने और संगठित नकल के कारण परीक्षाएं रद्द होने से लाखों छात्रों के हित प्रभावित हुए हैं।