लखनऊ। मैनपुरी में पुजारी के भेष में हत्यारा सुनकर आप चौंक जाएंगे। लेकिन यह सच है ऐसे ही एक मामले का उत्तर प्रदेश की मैनपुरी पुलिस ने खुलासा किया है।
पुलिस ने 40 साल से किसी मंदिर के पुजारी के भेष में और नाम बदलकर रह रहे चार लोगों की हत्या के दोषी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गये यतेन्द्र को 40 साल पहले आजीवन कारावास की सजा हुई थी। किशनी थाना क्षेत्र के नगला तारा गांव में 1978 में 4 लोगों की हत्या में यतेन्द्र शामिल था।
हत्या के बाद यतेन्द्र को गिरफ्तार करके जेल भी भेजा गया था, लेकिन उसे 1981 में हाई कोर्ट से जमानत मिल गयी थी। जमानत मिलने के बाद यतेन्द्र फरार हो गया।इसके बाद भेष बदलकर यतेन्द्र रह रहा था।
पुलिस ने रिकार्ड खंगालने के बाद यतेन्द्र के ऊपर 10 हजार रूपया का इनाम घोषित किया और उसे गिरफ्तार कर लिया।
किशनी थाना क्षेत्र के गांव नगला तारा में पांच जून 1978 को जमीनी विवाद में चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।मदन सिंह, महेन्द्र सिंह, सरमन और ललित पर रामकृपाल, राजनाथ, सुरेन्द्र, यतेन्द्र, गजेन्द्र और गोविन्द ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर सामूहिक हत्या कर दी थी।
इन छह आरोपियों में से गोविन्द को कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि 1981 में जनपद न्यायालय ने बाकी पांचों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के बाद पांचों ने हाई कोर्ट में अपील कर दी, जिसके बाद पांचों को जमानत मिल गई। इसके बाद पीड़ित सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने लोअर कोर्ट के आदेश को सही माना।
इसके बाद पुलिस ने दो दोषी राजनाथ और सुरेन्द्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इन दोनों की केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में मौत हो गई, जबकि तीन दोषी रामकृपाल, यतेन्द्र और गजेन्द्र 1981 से ही अपनी चल-अचल सम्पत्ति को बेचकर फरार चल रहे थे।कोर्ट बार-बार इन हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए कह रहा था।
इसी बीच पुलिस ने तीनों पर पर 10-10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया। पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैलाया तो उसे पता चला कि यतेन्द्र पुजारी के भेष में किसी मंदिर में रह रहा था, लखनऊ में इसका बेटा और पत्नी रहती है, ये कभी कभार घर पर आता था, फिर पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यतेंद्र किसी कामख्या मंदिर में पुजारी के भेष में रह रहा था।उसका परिवार भी लखनऊ में रहता है, जिससे मिलने वह कभी-कभी आता है। लेकिन पुलिस ने कामाख्या मंदिर के नाम और यतेंद्र के बदले हुए नाम का खुलासा नहीं किया है। पुलिस बाकी दो दोषियों की तलाश में लगी हुई है।