नई दिल्ली, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. शीर्ष अदालत ने चार सप्ताह बाद सुनवाई की बात कही है.
इस दौरान अब इस कानून को चुनौती देने के लिए कोई और याचिका दाखिल नहीं की जाएगी. शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई कर रहा है. तब तक कोई भी अदालत अंतिम आदेश पारित ना करें. साथ ही अब कोई भी कोर्ट यानी निचली अदालतें कोई भी प्रभावी आदेश नहीं देंगी. वे सर्वे को लेकर भी कोई आदेश नहीं देंगी.
पिछले दिनों यूपी के संभल में कुछ ऐसा ही विवाद पैदा हुआ था. स्थानीय अदालत ने स्थानीय जमा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया था. प्रशासन की टीन सर्वे करने पहुंची थी. इस दौरान किसी अफवाह की वजह से हिंसा भड़क गई. इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी. याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक हम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं तब तक पूरे देश में कहीं भी कोई केस रजिस्टर नहीं होगा. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है. अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा. केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें.
सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है. इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा. सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है.
इस बीच राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा है कि उनकी पार्टी ने इस मामले एक याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा कि संसद में जब यह कानून बनाया गया तब तक एक पीढ़ी काफी कुछ झेल चुकी थी. ऐसे में अब स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखने की जरूरत है.