नई दिल्ली, अपराधी लोगों को ठगने के लिए नई-नई तरकीबें आजमाते रहते हैं, कभी ओटीपी के नाम पर तो कभी आधार कार्ड के नाम पर ठगी के मामले सामने आते रहते हैं. आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के गाजियाबाद इलाके में एक महिला के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया था, महिला से पैसे ऐंठने के लिए साइबर अपराधियों ने कूरियर में अवैध सामान का रास्ता चुना, लेकिन आखिर कैसे उड़ गए पैसे एक कॉल से महिला के अकाउंट से? और इस मामले में आधार कनेक्शन क्या है? क्या है पूरा मामला
पहली कॉल आने पर जब कूरियर वाले ने अवैध सामान के बारे में बताया तो महिला समझ गई कि जालसाज कॉल कर रहे हैं, इसलिए महिला ने तुरंत कॉल काट दी, लेकिन एक बार फिर उसी नंबर से महिला को कॉल आई। कॉल उठाते ही महिला के पैरों के नीचे से खिसक गई जमीन, जालसाज बोला, क्या ये है आपका आधार कार्ड नंबर…? आधार कार्ड नंबर सुनकर महिला चौंक गई और फिर महिला को लगा कि कॉल किसी फ्रॉड का नहीं है क्योंकि नंबर बिल्कुल सही था। इस मामले की जानकारी अमर उजाला की रिपोर्ट से मिली है.
जालसाजों तक कैसे पहुंचता है आधार नंबर?
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंपनियों से डेटा लीक कर बेचा जा रहा है, इसलिए अलग-अलग कंपनियों से निगरानी रखने को कहा जा रहा है. न सिर्फ डेटा लीक के जरिए आधार नंबर धोखेबाजों तक पहुंच जाता है, बल्कि लोग गलती से या यूं कहें कि अनजाने में आधार नंबर गलत जगह शेयर कर देते हैं, जिससे आधार नंबर धोखेबाजों तक पहुंच जाता है, ऐसे में आधार नंबर को लेकर पहले 100 बार सोचें साझा करना.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले 7.5 महीनों में अब तक 85 से ज्यादा लोग इसका शिकार हो चुके हैं और 70 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। जिस शख्स से महिला को फोन आया उसने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और जाल बिछाते हुए महिला से 93 हजार रुपये ठग लिए और फिर क्या था पैसे मिलते ही जालसाज रफूचक्कर हो गया.
कैसे होती है आधार धोखाधड़ी?
आपने आधार से जुड़े फ्रॉड के बारे में तो कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आधार से फ्रॉड कैसे होता है? अगर आपका जवाब नहीं है तो हम आपको बता दें कि कुछ समय पहले ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिनमें बताया गया था कि धोखेबाज अकाउंट खाली करने के लिए आधार बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कुछ माह पहले एक व्यक्ति की मां के खाते से जालसाजों ने पैसे उड़ा लिए थे और बैंक से कोई मैसेज नहीं आया, एक दिन पासबुक भरने पर इसकी जानकारी हुई। बैंक मैनेजर से बात करने पर पता चला कि जालसाजों ने चुराए गए आधार बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया और फिर अकाउंट खाली कर दिया.
भूलकर भी बिना इंजीनियर वाली साइटों पर निजी जानकारी साझा न करें।
अपने दस्तावेज़ किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें, यदि आप दस्तावेज़ की फोटोकॉपी कराने गए हैं तो उसे अपने सामने ही कॉपी करा लें।
अगर कभी आपके पास कॉल आए और कोई अनजान व्यक्ति आपसे पैसे की मांग करे तो पैसे ट्रांसफर न करें और तुरंत पुलिस से शिकायत करें।
यूआईडीएआई की आधिकारिक साइट पर जाकर आधार बायोमेट्रिक को लॉक किया जा सकता है, जिससे कोई भी आपके बायोमेट्रिक्स तक नहीं पहुंच पाएगा।