Mpox Virus से भारत सहित 116 देशों में फैला खतरा, WHO ने घोषित की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी

नईं दिल्ली, कोरोना वायरस की तरह ही दुनिया पर अब एक और खतरनाक वायरस का खतरा मंडराने लगा है, जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है.

116 देशों में फैल चुके एमपॉक्स वायरस को लेकर अब भारत में भी खतरा मंडराने लगा है. WHO की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जनवरी 2022 और जून 2024 के बीच एमपॉक्स के 27 मामले सामने आए हैं, जिनमें से एक मरीज के मौत भी हो चुकी है. इस वायरस से पीड़ित मरीज के शरीर पर दाने निकल आते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एमपॉक्स वायरस को मंकीपॉक्स वायरस के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह के वायरस से भारत को किसी खतरे की आशंका नहीं है. कई तरह के वैक्सीन उपलब्ध हैं, जिससे इसका इलाज किया जा सकता है. इस बीच अफ्रीका से बाहर पहली बार स्वीडन में इस वायरस के घातक वेरिएंट का पहला मामला सामने आया है.

आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, डब्‍ल्‍यूएचओ ने गुरुवार को बताया कि कई देशों में इससे जुड़े मामलों में तेजी देखने को मिल रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए आपातकाल घोषित किया गया है. इसके साथ ही डब्‍ल्‍यूएचओ ने लोगों को अलर्ट रहने का भी निर्देश दिया है, ताकि आगामी दिनों में स्थिति और खराब न हो जाए. गौरतलब है क‍ि एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर क‍िसी के संपर्क में आने से फैलती है. अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है. यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है. इससे शरीर में मवाद से भरे दाने भी होते हैं. इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए डब्लूएचओ ने तीन सालों में दूसरी बार इमरजेंसी की घोषणा की है. इससे पहले, 2022 में भी ऐसा देखने को मिला था.

उस समय इस वायरस ने एक या दो नहीं, बल्कि 100 से भी अधिक देशों में अपना कहर दिखाया था. इससे 200 से भी ज्यादा लोगों की मौत उन दिनों हुई थी. यह वायरस मुख्य रूप से गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों को प्रभावित करता है. बता दें कि कांगो में अब तक 14 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से 500 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है. चिंता की बात यह है कि 15 साल से कम उम्र की लड़क‍ियां भी इस वायरस का शिकार हो रही है, इसे ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकाल की घोषणा करने का फैसला किया है, ताकि स्थिति को और खराब होने से रोका जा सके

इस वायरस को लेकर लोगों को सतर्क करते हुए डॉ. ईश्वर गिलाडा कहते हैं, ‘एमपॉक्स से बुखार, चकत्ते, लिम्फ नोड का बढ़ना हो सकता है और कुछ लोगों को संक्रमण हो सकता है. बूंदों के माध्यम से फैलने की संभावना बहुत कम है. वैक्सीन उत्पादन में भारत की ताकत का सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए.’ एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. अब तक कई देशों में यह वायरस अपना कहर दिखा चुका है. यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जींस से संबंधित बीमारी होती है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी. इसके बाद यह इंसानों में फैलती चली गई.

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