मोदी मंत्रिमंडल विस्तार: : आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कुछ नए चेहरों पर दाव

नई दिल्ली, आगामी राज्यन के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी मंत्रिमंडल के इस विस्तार और फेरबदल में पश्चिम बंगाल चुनावों के नतीजों और कोविड प्रबंधन को लेकर उठे सवालों बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देगा। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, इस बारे में राष्ट्रपति भवन के सूत्र मौन हैं, लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा के सूत्रों के मुताबिक इसी सप्ताह के किसी भी दिन इसका एलान किया जा सकता है।

जहां सरकार के कुछ सूत्र विस्तार की तारीख सात जुलाई को और समय दोपहर से पहले बता रहे हैं, वहीं भाजपा नेतृत्व के एक करीबी सूत्र के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने हिमाचल प्रदेश के दौरे से मंगलवार की शाम तक लौटेंगे, उसके बाद ही तारीख और समय तय होगा।

मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में करीब 22 नए मंत्री शामिल किए जा सकते हैं और कुछ पुराने मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। कुछ मंत्रियों को संगठन में भी भेजा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक बिहार, असम, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के उन बड़े नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है जो लंबे समय से प्रतीक्षा सूची में हैं।

इनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सराकर गिराकर भाजपा सरकार बनवाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को देखते हुए जातीय और वर्गीय संतुलन साधने के लिए ब्राह्रण चेहरे के रूप में प्रदेश के पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी और सासंद रमापति राम त्रिपाठी में से किसी एक को लिया जा सकता है।

वहीं, युवा चेहरों के नाम पर कई बार के सांसद वरुण गांधी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं दिख रही हैं। जबकि दलित चेहरे के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया का नाम लिया जा रहा है। सहयोगी दलों में अपना दल की अनुप्रिया पटेल, जनता दल (यू) के आरसीपी सिंह, और विभाजित लोजपा के पारस गुट के पशुपति पारस के नाम की भी चर्चा हो रही है।

सूत्रों की माँने तो कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं और जिन मंत्रियों के पास ज्यादा और भारी भरकम विभाग हैं, उनका बोझ भी हल्का किया जा सकता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों के साथ बैठक करके उनके कामकाज की समीक्षा की है। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों के कामकाज का मूल्यांकन खुद भी किया है और मंत्रियों से भी हिसाब-किताब लिया है।

इसके बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष नड्डा के साथ विचार विमर्श करके अपने बदले मंत्रिमंडल का खाका तैयार कर लिया है। हालांकि अभी राष्ट्रपति भवन को मंत्रिमंडल विस्तार कार्यक्रम की कोई सूचना नहीं है,लेकिन राष्ट्रपति भवन के सूत्रों का कहना है कि यह सूचना 12 घंटे पहले आती है और समारोह की तैयारियों के लिए इतना वक्त काफी होता है।

वैसे भी इस बार कोरोना नियमों और प्रतिबंधों के कारण नए मंत्रियों के शपथग्रहण का कार्यक्रम बहुत सादा और सीमित उपस्थिति वाला ही होगा। इसलिए भी ज्यादा लोगों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने अमित शाह और बीएल संतोष के साथ बैठक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल को लेकर चल रही चर्चा के बीच गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ बैठक की है। इस बैठक को मंत्रिपरिषद विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही मंत्रिपरिषद में फेरबदल होने की ‘प्रबल संभावना’ के बीच शाह और संतोष ने रविवार को प्रधानमंत्री के निवास पर उनके साथ कई घंटों तक चर्चा की।

कुछ सूत्रों ने बताया कि शपथ ग्रहण बुधवार तक हो सकता है। बहरहाल, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अगर प्रधानमंत्री फेरबदल करते हैं तो मई, 2019 में प्रधानमंत्री के तौर पर दूसरी पारी शुरू करने के बाद मंत्रिपरिषद का यह पहला विस्तार होगा।

इस फेरबदल में उत्तर प्रदेश को खास तवज्जो मिल सकती है क्योंकि अगले साल की शुरुआत में वहां विधानसभा चुनाव है और राजनीतिक रूप से यह देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश माना जाता है।

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान का पिछले साल निधन हो गया था और ऐसे में सबकी नजरें इस ओर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाया जाता है या नहीं। उल्लेखनीय है कि लोजपा इन दिनों पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान की अगुवाई वाले दो गुटों में बंटी हुई है। मौजूदा मंत्रिपरिषद में कुल 53 मंत्री हैं और नियमानुसार अधिकतम मंत्रियों की संख्या 81 हो सकती है।

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