उत्तर प्रदेश के मदरसों में गणित, विज्ञान, इतिहास व नागरिक शास्त्र को कक्षा एक से हाईस्कूल तथा इण्टर तक किया गया अनिवार्य विषय

लखनऊ, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की संस्तुति के अनुसार अब राज्य के अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिक गणित, प्राथमिक विज्ञान, नागरिक शास्त्र व इतिहास आदि विषयों को बतौर अनिवार्य विषय पढ़ाया जाएगा।

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद इस बारे में सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र जारी किया जाएगा।

बताते चलें कि इस बारे में हाल ही में मदरसा शिक्षकों के संगठन आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महासचिव वहीदुल्लाह खान सईदी ने मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को पत्र भी लिखा है। इस पत्र में रजिस्ट्रार से अनुरोध किया गया है कि मदरसा बोर्ड की 12 अक्तूबर 2021 को हुई बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार गणित, विज्ञान, इतिहास व नागरिक शास्त्र को कक्षा एक से हाईस्कूल तथा इण्टर तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने का आदेश जारी किया जाए।

इसी पत्र का हवाला देते हुए जब रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी से बात की गयी तो उन्होंने उपरोक्त उत्तर दिया। हालांकि वहीदुल्लाह खान सईदी ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि बोर्ड में पारित प्रस्ताव के बावजूद राज्य के सरकारी मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के मुताबिक अनिवार्य विषयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

उनके इस पत्र के अनुसार बोर्ड ने विगत 12 अक्तूबर 2021 को हुई अपनी बैठक में पारित प्रस्ताव में राज्य के अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिक गणित, प्राथमिक विज्ञान, इतिहास और नागरिक शास्त्र को अनिवार्य विषय के रूप में कक्षा एक से लेकर हाईस्कूल के स्तर तक पढ़ाए जाने का निर्णय लिया था। मगर इस निर्णय का अनुपालन करते हुए रजिस्ट्रार की ओर से आज तक इन विषयों को बतौर अनिवार्य विषय मदरसों में पढ़ाए जाने का आदेश जारी नहीं हुआ। बोर्ड की वर्ष 2022, 2023 और 2024 की वार्षिक परीक्षा बगैर अनिवार्य विषय के करवा दी गयीं।

उधर, बोर्ड के चेयरमैन डा.इफ्तेखार जावेद का कहना है कि रजिस्ट्रार बोर्ड के निर्णयों का अनुपालन नहीं करते। पिछले दो दशकों से बोर्ड के रजिस्ट्रार पद पर कोई बाहर का अधिकारी तैनात नहीं हुआ बल्कि अल्पंसख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी ही तैनात रहे। इसलिए रजिस्ट्रार जो भी अधिकारी बनता है वह अपने विभाग के उच्चाधिकारियों से आदेश लेकर ही मदरसा बोर्ड में फैसले लेता है।

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