विश्व के कई देशों ने आधार प्रोग्राम में दिखाई रूचि, होगी ग्लोबल पहचान

नई दिल्ली, भारत में पहचान का सबसे बड़ा प्रमाण पत्र या डॉक्यूमेंट आधार है और देश में हरेक नागरिक इस पहचान के प्रमाण पत्र को अपने पास रखता है और जिनके पास ये नहीं है वो भी इसे बनवाने की कवायद में लगे रहते हैं।

हालांकि अब भारत का ये आधार प्रोग्राम ग्लोबल बनने की राह पर है और इसमें विश्व के कुछ देशों ने रूचि दिखाई है जिससे वो भी अपने यहां पहचान के प्रमाण पत्र के रूप में ऐसा ही एक डॉक्यूमेंट ला सकें।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई देशों ने भारत से संपर्क किया है जिसके तहत वो जान सकें कि कैसे भारत ने अपने नागरिकों को एक डिजिटल पहचान दिलाई है. कुछ देशों ने आधार मॉडल को ही अपने यहां अपनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए भी भारत सरकार या आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI से संपर्क साधा है।

भारत के आधार प्रोग्राम को अन्य  देशों में दोहराए जाने की संभावना इसलिए भी है क्योंकि इस AADHAAR के जरिए भारत पहचान के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को विकसित कर रहा है और इस पर कई देशों का ध्यान गया है।

केंद्रीय सूचना एवं तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत में लोगों का जीवन बदलने में आधार ने बहुत अहम भूमिका निभाई है. चाहे वो फंड ट्रांसफर हो या सब्सिडी ट्रांसफर-या फिर सरकार के जरिए किए जा रहे किसी भी ट्रांसफर का मामला हो. अब हमें ये देखना है कि आधार के जरिए हम आगे और क्या कर सकते हैं पर इसके साथ ही पहचान के अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड या मानकों पर भी हमें नजर रखनी है।

इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के सचिव अजय सॉहने ने बताया कि किस तरह कई और देशों ने अपनी रूचि इस आधार कार्यक्रम में दिखाई है और जानना चाहा है कि कैसे इस तकनीक को बनाया और इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने अपने प्रत्येक नागरिक को एक डिजिटल आइडेंटिटी यानी पहचान दिलाने में कामयाबी हासिल की है जो एक ऐसी चीज है जिसे दुनिया के कई देश अभी भी हासिल नहीं कर पाए हैं. अब जहां कई देश डिजिटल पहचान के प्रति आकर्षित हो रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं, हमें लगता है कि आधार इस दिशा में आगे बढ़ने का जरिया हो सकता है।

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