नई दिल्ली, लगभग हर व्यक्ति स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा है। बड़ों में ही नहीं बल्कि बच्चोंं में भी मोबाइल की लत देखने को मिल रही है। काफी हद तक माता—पिता ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।
वे बच्चे को चुप कराने या खाना खिलाने के लिए मोबाइल थमा देते हैं। वहीं किशोर बच्चों को अब पढ़ाई के लिए भी मोबाइल की जरूरत होती है लेकिन वे पढ़ाई करने के अलावा उस पर सोशल मीडिया चलाते हैं और वीडियो देखते हैं। बता दें कि बच्चों से लेकर बड़ों तक में आजकल सोशल मीडिया का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है। हालांकि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों पर गलत प्रभाव डाल रहा है। आजकल बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे टिकटॉक, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, और स्नैप चैट पर काफी सक्रिय रहते हैं। लेकिन यह आदत उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
मानसिक विकास पर पड़ रहा असर
स्कूलों का कहना है कि सोशल मीडिया के कारण बच्चों और किशोरों के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों और किशोरों के दिमाग पर सोशल मीडिया के पड़ने वाले असर को लेकर कई स्टडी भी हुई हैं, जिनमें चौंकाने वाली कुछ बा
हो सकती है इस तरह की समस्साएं
वहीं कुछ मनोचिकित्सकों का कहना है कि हाल ही में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने बच्चों में तनाव की समस्या बढ़ाई है। मोबाइल और सोशल मीडिया की लत ने बच्चों में एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं पैदा की हैं। मोबाइल पर ज्यादा और बेवजह वक्त बिता रहे बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो रहा है।
ब्रेन मैपिंग में पता चली होश उड़ा देने वाली बात
हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, बच्चों की ब्रेन मैपिंग में पाया गया कि इसका असर बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा है। अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के न्यूरो वैज्ञानिकों ने इस पर स्टडी की और बताया कि जो बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार बार चेक करते हैं उनके ब्रेन का आकार छोटा रहता है। इस स्टडी में लगातार तीन सालों तक उत्तरी कैरोलिना के कुछ स्कूलों के 170 छात्रों का डेटा लिया गया। इन बच्चों को दिन में कम से कम एक बार और 20 से अधिक बार लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट आदि को इस्तेमाल करने के आधार पर बच्चों को विभाजित किया गया।
स्टडी में हुए ये खुलासे
इस दौरान इन बच्चों की ब्रेन मैपिंग की गई। इसमें उनके मस्तिष्क के विकास संबंधी अलग-अलग परिवर्तन देखने को मिले। स्टडी में सामने आया कि सोशल मीडिया अपने प्लेटफॉर्म पर लाइक, कमेंट, नोटिफिकेशन और मैसेज चेक करते रहने की इच्छा भी पैदा करता है। इससे 12 से 15 साल के किशोरों का दिमाग अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है।