नयी दिल्ली, इंडिया गेट पर अमर देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी.
पूरा देश नेताजी की 125वीं जयंती मना रहा है और ऐसे अवसर पर इंडिया गेट के प्रांगण में उनकी प्रतिमा लगना बड़ी खुशी की बात है. स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी है. पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ग्रेनाइट से बनी नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी. भारत हमेशा उनका ऋणी रहेगा और यह प्रतिमा इस बात का प्रतीक होगी.’
प्रतिमा बनने में अभी समय लगेगा. जब तक नेताजी सुभाष चंत्र बोस की प्रतिमा नहीं बन जाती, तब तक यहां पर उनकी एक होलोग्राम प्रतिमा लगाई जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनकी होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी. मैं नेताजी की जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा.
Till the grand statue of Netaji Bose is completed, a hologram statue of his would be present at the same place. I will unveil the hologram statue on 23rd January, Netaji’s birth anniversary. pic.twitter.com/jsxFJwEkSJ
— Narendra Modi (@narendramodi) January 21, 2022
होलोग्राम या होलोग्राफी को साधारण भाषा में त्रिआयामी (थ्रीडी) चित्र कहा जा सकता है, जिसे स्टेटिक किरणों के जरिए प्रस्तुत किया जाता है.
इसके जरिए किसी ऐसे शख्स या वस्तु को ऐसी जगह पर दिखाया जा सकता है, जहां वह स्वयं मौजूद नहीं है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी 2022 को कर रहे हैं वह इसी तकनीक का जादू है. दरअसल असली प्रतिमा को बनने में समय लगेगा, इसलिए स्टेटिक किरणों के माध्यम से होलोग्राम प्रतिमा वहां दर्शायी जाएगी.
होलोग्राम तकनीक से बनी प्रतिमा को छुआ नहीं जा सकेगा, आप सिर्फ उसे देख सकते हैं. यदि आप छूने की कोशिश करेंगे तो आपके हाथ हवा में तैर रहे होंगे, क्योंकि असली प्रतिमा वहां होगी ही नहीं.
यदि आप कुछ दूरी से इस होलोग्राम प्रतिमा को देखेंगे तो आपको महसूस होगा कि जैसे प्रतिमा वहां मौजूद है. लेकिन यह प्रतिमा किरणों के जरिए दर्शाई जा रही होगी.
होलोग्राम का अविष्कार साल 1947 में ही हो गया था, जिसे बाद में 1960 में विकसित किया गया. इसे ब्रिटिश हंगरियन साइंटिस्ट डैनिस गैबर ने विकसित किया था.
बाद के दिनों में इसका औद्योगिक उपयोग किया गया. कई किताबों और अन्य चीजों पर एक छोटे से टिकट के आकार का होलोग्राम आपने कई बार देखा होगा