सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच बढ़ी तकरार : दोनों के बीच बातचीत बन्द

रियाद, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच काफी घनिष्ठ संबंध रहे हैं लेकिन, पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से तकरार होना शुरू हो गया था, जिसका पता अब दुनिया को चल रहा है। दोनों देशों के बीच के संबंध खतरनाक स्तर पर पहुंच गये हैं, और अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच की बातचीत भी बंद है। दोनों देशों के बीच फ्लाइट सेवा भी बंद कर दी गई है और सऊदी अरब ने यूएई के व्यापार में दी गई छूट में कटौती कर दी है।

ओपेक+ की अंदरूनी कलह ने तेल बाजार में काफी हलचल मचा दी है और न्यूयॉर्क में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ गया है, जो पिछले 6 साल के उच्चतम स्तर पर है।

ओपेक प्लस की बैठक रद्द होने के बाद अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि क्या सोमवार को रद्द होने वाली ओपेक प्लस की बैठक के बाद सऊदी अरब और यूएई की लड़ाई काफी तेज होने वाली है और इसका असर कितना खतरनाक होने वाला है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच की लड़ाई का बेहद खतरनाक अंजाम हो सकता है। अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों देशों के बीच की लड़ाई बहुत बड़े संकट को अंजाम दे सकती है।

मध्यपूर्व के तेल उत्पादक देशों ने इशारा दिया है कि वो अभी जो कच्चा तेल बेचेंगे, चाहे उसकी मात्रा काफी ज्यादा हो या कम…उसकी कीमत उसी तरह से निर्धारित की जाएंगी, जिस तरह से अभी तक होता आया है। कच्चे तेल की कीमत में इजाफा करने का मतलब होगा कि तेल का उत्पादन कम होगा, वहीं अगर कच्चे तेल की कीमत में ये देश कटौती करते हैं, तो फिर तेल के खरीदार देश ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदना चाहेंगे। सऊदी अरब ने अपने पारंपरिक एशियाई बाजार के लिए अगस्त महीने के लिए कच्चे तेल की कीमत की घोषणा कर दी है, जिसे देखकर लगता है कि सऊदी अरब कच्चे तेल की सप्लाई और डिमांड के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश में है और अगर ओपेक प्लस के सदस्य विवाद को खत्म करने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर उम्मीद की जानी चाहिए कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा नहीं होगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर विश्व को काफी महंगा कच्चा तेल खरीदने के लिए तैयार रहना होगा।

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है कि सऊदी अरब जल्दबाजी में ऐसा कोई कदम उठाने वाला है, क्योंकि अगस्त महीने तक के लिए सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमत को निर्धारित कर दिया है। और सऊदी अरब की तरफ से दूसरा सिग्नल ये दिया गया है कि उसने अपने खरीदारों से पूछ है कि उन्हें आने वाले महीनों में कितना तेल चाहिए और वो उस तेल की सप्लाई करने के लिए तैयार है। लेकिन, दूसरी तरफ देखें तो यूएई फंसा हुआ दिख रहा है। यूएई ने ओपेक प्लस की बैठक से पहले ही अपने खरीददारों को कह दिया है कि उसे काफी कम मर्बन क्रूड ऑयल मिल रहा है, लिहाजा आने वाले दिनों में मर्बन ऑयल की सप्लाई कम हो सकती है, जो संयुक्त अरब अमीरात के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।

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