साल 2015 में बीजेपी सरकार ने INDIA को भारत करने से कर दिया था मना, विपक्ष ने गठबंधन का नाम रख बदलने के लिए किया मजबूर

नई दिल्ली, भारत के नाम को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. विपक्षी दलों के अपने नए गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखे जाने के बाद अब सरकार इस शब्द को ही हटाने की तैयारी कर रही है. ताजा मामला राष्ट्रपति के उस इनविटेशन का है, जो जी-20 समिट के लिए भेजा गया है.

इसमें राष्ट्रपति को प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है. जिसे लेकर बवाल शुरू हो गया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तीन साल पहले ही INDIA नाम बदलने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई थी?

गौरतलब है की इससे पहले साल 2015 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश को इंडिया के बजाय भारत नहीं कहा जाना चाहिए। यह जवाब एक जनहित याचिका को लेकर दिया गया था। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए गणतंत्र को भारत कहा जाने की मांग की गई थी।

साल 2000 में भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि संविधान में संशोधन कर इंडिया को भारत कर देना चाहिए. याचिका में कहा गया था कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से आया है, इसीलिए इस नाम को हटाया जाना चाहिए. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इंडिया का मतलब ही भारत है. तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता ने कोर्ट में इस मामले को क्यों उठाया, जबकि संविधान में साफ तौर पर लिखा है कि ‘इंडिया जो कि भारत है’ (INDIA That is Bharat).

इस दौरान याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मांग को संबंधित मंत्रालय के सामने भेजने की इजाजत दी जाए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया. याचिका में संविधान के अनुच्छेद-1 का जिक्र किया गया था, जिसमें इंडिया नाम का इस्तेमाल किया गया है, इसी अनुच्छेद में संशोधन की याचिकाकर्ता ने मांग की थी.

इसके बाद अब एक बार फिर इंडिया शब्द को लेकर बवाल शुरू हो गया है. राष्ट्रपति के इनविटेशन लेटर के सामने आने के बाद तमाम विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. विपक्षी दलों ने पूछा है कि कल अगर किसी गठबंधन का नाम भारत पर रखा जाता है तो क्या बीजेपी इसे भी बदल देगी?

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