सड़क चौड़ीकरण के नाम पर प्रशासन ने ऐतिहासिक मस्जिद को निशाना, 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद को कोर्ट के फैसले से पहले शुरु की ढहाने की प्रक्रिया

फतेहपुर, उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद को गिराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह मस्जिद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन अब इसे हाइवे चौड़ीकरण के नाम पर हटाया जा रहा है. प्रशासन ने इसके लिए पांच बुलडोजर लगाकर मस्जिद को ध्वस्त करने का काम शुरू कर दिया ।

नूरी जामा मस्जिद का निर्माण 19वीं शताबदी में हुआ था और यह फतेहपुर के प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में पहचानी जाती है. इस मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के लिए नियमित रूप से आते हैं, और यह न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण धरोहर मानी जाती है. हालांकि, हाइवे के चौड़ीकरण के लिए प्रशासन ने मस्जिद को हटाने का निर्णय लिया है.

मस्जिद के मुतव्वली (देखरेख करने वाले) मोहम्मद मोइन खां ने इस निर्णय के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाया है. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, जिसमें इस मस्जिद को गिराने के खिलाफ अपील की गई है. मुतव्वली का कहना है कि यह मस्जिद ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है, इसे बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिराया नहीं जा सकता.

कोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब

इस मामले में आगामी 13 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होने वाली है, जहां इस मुद्दे पर न्यायिक निर्णय लिया जाएगा. कोर्ट ने पहले ही इस मामले में प्रशासन से मस्जिद को हटाने के कारणों और इसके स्थानांतरण के संभावित उपायों के बारे में जवाब मांगा है.

मुस्लिमों में आक्रोश

इस निर्णय ने स्थानीय मुस्लिम समुदाय में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है. धार्मिक स्थलों को बिना उचित अनुमति के गिराना और उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को नजरअंदाज करना एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है. वहीं, प्रशासन का कहना है कि हाइवे की चौड़ीकरण योजना के तहत इस मस्जिद को हटाना जरूरी है, ताकि यातायात की समस्या का समाधान किया जा सके.

इस विवाद के समाधान के लिए अदालत के आदेश का इंतजार किया जा रहा है, उधर प्रशासन ने मस्जिद को ढहाने का काम शुरू कर दिया है. अब यह देखना होगा कि 13 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है.

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