लखनऊ, उत्तर प्रदेश में अब 18 वर्ष से कम उम्र के लोग दोपहिया और चार पहिया वाहन को लेकर शासन की तरफ से दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। परिवहन विभाग के सहयोग से माध्यमिक विद्यालयों में सख्ती की जाएगी।
इसके लिए अभियान चलाकर युवाओं को जागरूक भी किया जाएगा। साथ ही छात्रों को सड़क सुरक्षा के प्रति विभिन्न माध्यमों से जानकारी भी दी जाएगी।
यह आदेश उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की तरफ से शिक्षा निदेशक माध्यमिक को भेजा गया है। ये निर्देश उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से दिए गए आदेश के बाद जारी किया गया है। परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह की ओर से इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कम उम्र में वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही माध्यमिक शिक्षा निदेशक से इसके लिए विद्यालयों में अभियान चलाने को कहा गया है।
इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी डीआईओएस को इसके लिए निर्देश दिए हैं। यदि अभिभावकों ने बच्चों को स्कूटी-कार दी तो उन्हें तीन साल की सजा होगी और 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगेगा। शिक्षकों को भी रोड सेफ्टी नोडल शिक्षक नामित किया जाएगा। प्रार्थना सभा में स्टूडेंट्स को सड़क सुरक्षा की जानकारी दी जाएगी और उन्हें इसकी शपथ भी दिलाई जाएगी। विद्यालयों में सड़क सुरक्षा के नियमों से संबंधित वॉल पेंटिंग कराई जाएगी। विद्यार्थियों के वाट्सअप ग्रुप बनाकर इससे संबंधित जानकारी व सुझाव साझा किए जाएंगे।
निदेशक ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भी इसके लिए प्रयोग किया जाए। निदेशक ने अपने पत्र में कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 4 में प्रावधान किया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी सार्वजनिक स्थान में मोटरसाइकिल नहीं चलाया जाएगा। साल 2019 में कानून में संशोधन करते हुए किसी 18 वर्ष के कम आयु वाले किशोर द्वारा मोटरयान अपराध में किशोर के संरक्षण/ मोटरयान के स्वामी को भी दोषी मानते हुए दंडित करने का नियम है।
तीन वर्ष की करावास के साथ 25,000 रुपए जुर्माना
इसके साथ ही मोटर वाहन स्वामी को तीन वर्ष की करावास के साथ 25,000 रुपए जुर्माना लगाने का भी नियम है। साथ ही वाहन का पंजीकरण एक वर्ष की अवधि के लिए निरस्त कर दिया जाएगा और नाबालिग किशोर का ड्राइविंग लाइसेंस अगले 25 वर्ष के बाद ही बन सकेगा।
निदेशक ने अपने पत्र में सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जनवरी और जुलाई माह में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला विद्यालय यान परिवहन सुरक्षा समिति की बैठक कर मोटर अधिनियम के बारे में जानकारी देने के साथ रोड सेफ्टी क्लब का गठन करने तथा सभी कक्षा में एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन के रूप में नामित करने को कहा है।